शुक्रवार, नवंबर 26, 2010

रात भर नींद को ढूंढती रह गई

32 टिप्‍पणियां:

  1. एक बादल वर्षा का न हुवा,
    ज़िन्द्गी आग से झूझती रही।

    बहुत ही नाज़ुक शे'र , ख़ूबसुरत ग़ज़ल्। बधाई।

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  2. संजय दानी जी, हार्दिक धन्यवाद!

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  3. नदी का धार में डूबना और अखबार की खबर का बुझना ....बहुत खूब लिखा है ...सुन्दर गज़ल

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  4. आदरणीया वर्षा सिंह जी
    प्रणाम आपको और आपकी शानदार जानदार लेखनी को !
    आप सच में बहुत अच्छा लिखती हैं ।
    पिछली पोस्ट्स की भी रचनाएं पढ़ीं मैंने , आनन्द आया ।

    यह ग़ज़ल भी काबिले-ता'रीफ़ है ।

    इत्तिफ़ाक़न हुआ या कि सज़िश हुई
    ख़ुद नदी धार में डूबती रह गई


    तमाम अश्'आर ग़ज़ल के प्रति आपकी समझ और सलाहियत - काबिलियत की ताईद है ।

    बहुत बहुत शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  5. bahut dinon k baad idhar aanaa hua. aur fir dilko chhoo lene vali ghazal parh kar dard sub jata rahaa.

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  6. संगीता स्वरुप जी, मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  7. राजेन्द्र स्वर्णकार जी, आपको आनन्द आया । मेरी ग़ज़ल सफल हुई,हार्दिक धन्यवाद!

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  8. गिरीश पंकज जी,बहुत बाद दिनों सही, मेरे ब्लॉग पर फिर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद!

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  9. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी इस रचना का लिंक मंगलवार 30 -11-2010
    को दिया गया है .
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

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  10. simple awesome Varsha ji...
    आपने न जाने कितनी रातों का फ़साना कह दिया...
    नींद तो आयी नहीं पर एक तराना कह दिया...

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  11. पूजा जी, हार्दिक धन्यवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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  12. कमाल भाव कागज़ पर उतारे वर्षाजी ...... बहुत सुंदर
    हर पंक्ति प्रभावी बन पड़ी है.....

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  13. amazing..... apni kuch rachnayen rasprabha@gmail.com per bhejiye parichay aur tasweer ke saath

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  14. नींद को ढूँढना और हवा से पता पूछना...वाह क्या गजब है ...मेरे ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया
    चलते -चलते पर आपका स्वागत है

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  15. बेहद धारदार रचना………………।दिल मे उतर गयी।

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  16. इत्तिफाक हुआ कि साजिश हुई ...
    खुद नदी धार में डूबती रह गयी !
    बेहद संजीदा अहसास !

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  17. डॉ॰ मोनिका शर्मा जी, हार्दिक धन्यवाद!

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  18. रश्मि प्रभा जी, हार्दिक धन्यवाद! आभारी हूं।

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  19. केवल राम जी, हार्दिक धन्यवाद!

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  20. वन्दना जी, हार्दिक धन्यवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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  21. अनुपमा पाठक जी, हार्दिक धन्यवाद!

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  22. वाणी गीत जी, आपका हार्दिक धन्यवाद!

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  23. 'ittifakan hua yaki sajish hui
    khud nadi dhar me doobti rah gayi'
    umda sher ..
    sunder gazal..

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  24. सुरेन्द्र सिंह " झंझट " जी, हार्दिक धन्यवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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  25. खूबसूरत अहसास ,सुन्दर गज़ल!

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  26. सुनील जी. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद.

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  27. काजल कुमार जी. मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद.

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  28. ek lmhaa khushi kaa naa thhahraa yahaan ,
    dehri aahaten choomti rah gai .
    behtreen gazlen likhtin hain aap "varshaaji "-
    ek baadal naa "varshaa" kaa apnaa huaa -
    baadal to hotaa hi aavaaraa hai -kahtaa bhi hai -"itnaa naa mujhse tu pyaar badhaa ki main ek baadal aavaaraa .....,
    kaise kisi kaa sahaaraa banu ki main khud be -ghar be -chaaraa ..."
    veerubhai .

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  29. बहुत सुंदर शेर..मजा आ गया पढ़ कर..बेहतरीन और खुबसूरत।

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  30. veerubhai ji,

    Thanks for your comments.Hope you will be give me your valuable response on my future posts.

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  31. Er. सत्यम शिवम जी,
    मेरे इस ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद.
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।

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