बुधवार, फ़रवरी 16, 2011

कल शाम कहा उसने


42 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई

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  2. देवेन्द्र गौतम जी (ghazalganga),
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  3. varshaji,
    bahut sundar abhivyakti, har lafj dil ko chhoo gaya, sundar rachna ke liye bahut bahut aabhaar

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  4. पूरी ग़ज़ल लाजवाब है, वर्षा जी.
    मत्ले में भी नाम का खूबसूरती से अर्थपूर्ण इस्तेमाल नयापन पैदा कर रहा है.

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  5. उम्दा ग़ज़ल.
    आपने अपने नाम को सार्थक कर दिया.
    कृपया और जोर से बरसिये.
    सलाम.

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  6. bhut sunder gazal
    samajh nhin aata kis sh'r ki tarif kroon aur kise chhodoon
    ----- sahityasurbhi.blogspot.com

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  7. ➨ रश्मि प्रभा जी
    ➨ संजय कुमार चौरसिया जी
    ➨ कुंवर कुसुमेश जी
    ➨ ललित शर्मा जी
    ➨ सुशांत जैन जी
    ➨ दिलबाग विर्क जी
    ➨ sagebob

    आप सभी को शुभकामनाओं और प्रोत्साहन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.

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  8. नमस्कार !
    आप के ब्लॉग पे पहली बार आने का सौभाग्य मिला . अच्छा लगा .सुंदर ग़ज़ल .
    साधुवाद .
    --

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  9. दीप्ति शर्मा जी,
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  10. सुनील गज्जाणी जी,
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है .
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
    आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

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  11. 6 "फ़ैलुन " की मत्राओं में एक ख़ुबसूरत ग़ज़ल के लिये वर्षा जी को बधाई।

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  12. डॉ. संजय दानी जी,
    आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !

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  13. ज़ाकिर अली ‘रजनीश’जी,
    आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !

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  14. ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार

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  15. ज्योति सिंह जी,
    बहुत -बहुत ..शुक्रिया.

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  16. संजय कुमार चौरसिया जी,
    आपके ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण होने पर आपको शुभकामनायें .

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  17. संजीव जी,
    आपको बहुत बहुत धन्यवाद!

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  18. वर्षा जी ..आपकी ये ग़ज़ल बेहद पसंद आई। आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा।

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  19. विरेन्द्र सिंह चौहान जी,
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  20. वैसे अमीरी के आंख, कान नहीं होते.... पैसे खनकते हैं, सिर्फ जुबान होती है। फि‍र भी अच्‍छा है यदि‍ गरीबी की गजल जता दी जाये।

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  21. Rajey Sha ji,
    Thank you for visiting my blog!
    I feel honored by your comment.

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  22. आपकी गज़लें मन को छू जाती हैं. बूंदों, फूलों, दूजों, झूलों, भूखों, चाहत, इबादत, रूपों की ग़ज़ल जो आपने कही है, वह सम्पूर्ण जगत की बात कर रही है, अपने ढंग से. आपकी ग़ज़ल में जल है, जीवन है, प्रकृति है, जन-मन है, प्रेम है, पीड़ा का गायन है और है खुले गगन में उड़ने का सपना. बहुत सुन्दर रचना है आपकी यह. बधाई स्वीकारें. अवनीश सिंह चौहान

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  23. अवनीश सिंह चौहान जी,
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद...
    आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।

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  24. इंसान को मत बांधों मजहब के रदीफ़ों से,
    अपनी तो बहुत कह ली दूजों की ग़ज़ल कह दो !
    वाह! वर्षा जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने ! मुबारक हो

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  25. ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
    आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !

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  26. बहुत ही उम्दा गज़ल है । हर एक शेर लाज़वाब है । अपनी तो बहुत कह ली दूजों की गज़ल कह दो, कानों में अमीरी के भूखों की गज़ल कह दो ! अति उत्तम । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ !

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  27. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल हर पंक्ति एक प्यारा सा सन्देश देती हुई |

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  28. रजनीश तिवारी जी,
    आपको बहुत बहुत धन्यवाद!

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  29. मीनाक्षी पंत जी,
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
    आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

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  30. आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें

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  31. sabhi rachnaayen ek se badhke ek hain ,zindaa ehsaas hain .
    veerubhai .

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  32. वीरु भाई जी,
    आपकी इस सहृदयता के लिए आभारी हूं।
    आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  33. फुटपाथ पे घुट-घुट के , दम तोड़ रहा बचपन
    आंचल की हवा दे कर,झूलों की गजल कह दो |

    वाह! और आह! का संगम ....

    शुभकामनाये !
    स्वस्थ रहें !
    अशोक सलूजा !

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  34. अशोक सलूजा जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
    मेरे ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है!

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