रविवार, फ़रवरी 27, 2011

तुमने छू जो लिया


62 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय वर्षा जी
    नमस्कार !
    शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद.....बधाई

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  2. कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी

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  3. बेमिसाल.......इस ग़ज़ल को पढ़ कर यही शब्द जुबां पर आया.
    आप का मतला ही पूरी ग़ज़ल कह गया.
    सलाम.

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  4. बेहतरीन...खूबसूरत पंक्तियाँ..... सुंदर अर्थपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें ......

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  5. आदरणीय वर्षा जी नमस्कार !
    बहुत खूबसूरत , सुंदर अर्थपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें ...

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  6. गज़ब गज़ब गज़ब्……………बहुत ही सुन्दर भावाव्यक्ति…………।

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  7. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (28-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  8. बहुत खूबसूरत रचना..शब्दों और भावों का प्रवाह बहा ले जाता है किसी और ही लोक में..बहुत सुन्दर

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  9. तुमने छू जो लिया मैं नदी हो गई,
    एक पल में ही पूरी सदी हो गई।

    बेहतरीन शे'र , लाज़वाब गज़ल, बधाई।

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  10. संजय भास्कर जी.
    आपका सदा स्वागत है।
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  11. Sagebob,
    Hearty welcome in my blog. Thanks for your comment.

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  12. संगीता स्वरुप जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।

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  13. डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद...
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  14. रश्मि प्रभा जी,
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  15. संजय कुमार चौरसिया जी,
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  16. वन्दना जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया .....हार्दिक धन्यवाद.
    मेरी गज़ल को चर्चा मंच में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है,उस के लिए मैं आपकी बेहद आभारी हूं.

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  17. सुशांत जैन जी,
    हार्दिक आभार।

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  18. कैलाश शर्मा जी,
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  19. संजय दानी जी,
    हार्दिक धन्यवाद ।
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।

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  20. राहुल सिंह जी,
    हार्दिक धन्यवाद.....
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  21. बहुत ही अच्छी और भावपूर्ण लाइनें । मुस्कुराती गज़ल, ज़िंदगी हो गई !

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  22. रजनीश तिवारी जी,
    हार्दिक धन्यवाद ।
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।

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  23. पूरी ग़ज़ल बेहतरीन है.
    आपका तख़ल्लुस मक्ते में केवल उपयोग ही नहीं होता बल्कि अर्थपूर्ण होता है,ये मुझे खास तौर पर अच्छा लगता है.

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  24. नाज़ुक भावों को रेशमी शब्दों में इतनी कोमलता से बांधा गया है कि इसे पढ़ते समय लगा कि भाव जरा भी प्रखर हुए तो गज़ल की पंक्ति टूट जाएगी।

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  25. varsha mem !
    namskaar !
    main kounsaa saa sher cot karu har sher umdaa hai . badhai , HAR SHER MAIN EK APN VAZAN HAI . EK GAHRAAI HAI ,sadhuwad ,
    saadar !

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  26. कुंवर कुसुमेश जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं...
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  27. धीरेन्द्र सिंह जी,
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  28. सुनील गज्जाणी जी,
    मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं...
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार....
    आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।

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  29. वर्शा जी ,
    बेहद खूबसूरत ,मधुर भावों से छलकती ,पता नहीं किस दुनिया में ले
    गयी आपकी कविता । अब वहां से वापस लाने के लिये इससे भी मीठी
    कविता लिखिये । अग्रिम धन्यवाद स्वीकारें !

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  30. सही अर्थों में आपकी ग़ज़ल, ग़ज़ल है।
    शब्दों और भावों की सुंदरता तो है ही, गेयता भी है।
    मुझे प्रसन्नता हुई आपके ब्लाग पर आकर और आपकी रचना पढ़कर।

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  31. निवेदिता जी,
    आपके अपनत्व ने मुझे भावविभोर कर दिया है।
    हार्दिक धन्यवाद!

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  32. महेन्द्र वर्मा जी,
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं......
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।

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  33. बहुत ही भावपूर्ण एवं कोमल अनुभूतियों से पगी सुन्दर रचना ! मन को छू गयी आपकी यह बेहतरीन अभिव्यक्ति ! मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें !

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  34. साधना वैद्य जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।

    जवाब देंहटाएं
  35. ज्योति सिंह जी,
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार....
    आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।

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  36. varshha ji
    kya likhun .main to itni khoob surat gazal itni baar padh gai ki ab ye yaad bhi ho gai.satyam ji ke charcha manh par bhi aapko padha tha .bahut hi achha laga.
    aur aage nihshabd ho gai hun
    hardik badhai swkaren
    poonam

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  37. गिरीश मुकुल जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
    आपका स्वागत है!
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  38. पूनम श्रीवास्तव जी,
    मैं आपको धन्यवाद भर कहूं तो कम होगा, आपके अपनत्व ने मुझे भावविभोर कर दिया है।

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  39. काजल कुमार जी,
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार....

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  40. समीर लाल जी for Udan Tashtari ,
    बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद !

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  41. Ajit Pal Singh Daia ji,
    Your hearty welcome in my blog.
    Thanks for your valuable comments on my ghazal.

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  42. खुल गयी जो चिटकनी हृदय द्वार की
    मेरे भीतर नई रौशनी हो गयी

    काव्य को समर्पित खूबसूरत खयालात
    एक अच्छी ग़ज़ल ... !

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  43. दानिश जी,
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...

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  44. is gazal ki jitani bhi tareef karoon kam hogi
    bahut achhi lagi
    shubhkamnaye

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  45. दीपक सैनी जी,
    आपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं .

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  46. वाह ....हर पंक्ति अपने आप में बेमिसाल ..।

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  47. सदा जी
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद!

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  48. महेश जी(माही),
    बहुत-बहुत आभार एवं धन्यवाद !

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  49. खुल गई जो सिटकनी हृदय द्वार की
    मेरे भीतर नई रौशनी हो गई......
    तुमने छू जो लिया मै नदी हो गई,
    एक पल में ही पूरी सदी हो गई ....
    भाव की सुन्दरता अहसास में है पर लफ्जों में पिरोना भी कम मायने नहीं रखता ...
    बस इतना ही कहूँगी .... suuuuuuuuuuuuuprb!

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  50. अंजू जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद!
    कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।

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  51. tumne chhu jo liya, nadi ho hai
    ik pal me hi puri sadi ho gai...
    waah varsha ji waah...sach me hi to muhabbat me itna romanch bara hai ki priyatam/priytamaa k chute hi ang- prtyang pulkit ho uthta hai..aur jamaane bhar ki peeda ko..julmo ko...bhulkar bhawnaaon ki nadi si prawahit ho jati hai tan me...man me...aor vicharon me... isi ehsaas se bhare kuchh shabdon ko mere blog..me mahsus karengi...

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  52. रमेश जी,
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं......
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।

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