सोमवार, मार्च 07, 2011

महिला दिवस पर एक ग़ज़ल

जहां औरतें नहीं.....



85 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ..बहुत खूबसूरत गज़ल ...नारी की महिमा को बताती यह गज़ल बहुत अच्छी लगी ...

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  2. शेर भावपूर्ण हैं. ग़ज़ल अच्छी है. वर्षा जी! अन्यथा न लें तो एक सुझाव दूँ..? मतले के शेर में अगर वो घर न कोई घर है....की जगह वो घर भी कोई घर है कर दिया जाये तो इसमें रवानी आ जाएगी.
    ---देवेन्द्र गौतम

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  3. kyaa baat hai varshaji, sundar ghazal. bin aurat ghar bhoot ka deraa. har sher aurat ke sarthak astitva ko sabit karata hai.

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  4. अमृत ज़हर है, जहाँ औरत नहीं ... बहुत सही, बेहतरीन भाव

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  5. अमृत ज़हर है, जहाँ औरत नहीं, बहुत खूबसूरत गज़ल ...

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  6. संगीता स्वरुप जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद!

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  7. देवेन्द्र गौतम जी,
    मेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
    आपका सुझाव बहुत अच्छा लगा...मैंने परिवर्तन कर दिया है... कृपया अब पुन: देखें.

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  8. गिरीश पंकज जी,
    बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

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  9. रोशी जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद!

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  10. रश्मि प्रभा जी,
    आपका आना सुखद लगा ...... हार्दिक धन्यवाद!

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  11. सुनील कुमार जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें। आपका सदा स्वागत है।

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  12. संगीता स्वरुप जी,
    आपने मेरी गज़ल को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए चयनित किया...मन आनंदित हो गया ...
    अत्यंत आभारी हूं।

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  13. बहुत ही खूबसूरत और भावपूर्ण ग़ज़ल वर्षाजी .....शुभकामनायें स्वीकारें

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  14. डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद!

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  15. नारी की महत्ता को बहुत सुन्दर शब्दों के साथ अभिव्यक्ति दी है आपने ! बहुत अर्थपूर्ण रचना है ! हर शेर बहुत खूबसूरत है ! बधाई एवं शुभकामनायें !

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  16. सर्वप्रथम महिला - दिवस पर आपको शत - शत नमन , आपके लेखन से मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ ! आपको पढ़ना मुझे हमेशा अच्छा लगता है !

    हर बार कि तरह इस बार भी आपकी ग़ज़ल की तारीफ़ में शब्द कम हैं ! एक बार फिर वेहतरीन ग़ज़ल पढ़ने को मिली , बहुत बहुत आभार

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  17. बुनते नही पहर दिनों के लिबास को,
    होती नहीं सहर जहां औरतें नहीं हैं ।

    बेहतरीन ग़ज़ल , बधाई वर्षा जी को।

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  18. औरत की व्यापकता का सुन्दर चित्रण।

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  19. "वो घर भी कोई घर है! जहां औरतें नहीं." यह लाख टके की बात कह दी आपने. घर घर तभी होता है जब महिला घर में हो. सुन्दर. बहुत सुन्दर. मेरी बधाई स्वीकारें

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  20. महिला दिवस पर इतनी सुंदर गजल पढ़कर मन उल्लसित हो गया बधाई !

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  21. सच कहा है ... जिस घर में नारी का वास नहीं होता उस घर में सुख नहीं होता ...
    लाजवाब ग़ज़ल है ... सार्थक है आज के दिन पर ....

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  22. आद. डा. वर्षा जी,
    आपकी ग़ज़लों का तो ज़वाब नहीं !
    क्या शेर कहे हैं आपने,

    बुनते नहीं पहर भी दिनों के लिबास को,
    होती नहीं सहर है जहाँ औरते नहीं !
    ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब है !
    शुक्रिया !

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  23. बहुत खूब! बहुत सुन्दर गज़ल. हरेक शेर सार्थक और लाज़वाब..

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  24. खोई हुई बहर....
    बहुत खूब गज़ल हुई है बधाई

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  25. साधना वैद्य जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...हृदय से आभारी हूं.
    आपको अनेक धन्यवाद .

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  26. संजय कुमार चौरसिया जी,
    आपकी इस शुभकामना और प्रोत्साहन के लिये आपको अनेक धन्यवाद एवं कोटिशः मंगलकामनाएं!

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  27. संजय दानी जी,
    मेरी गज़ल पर टिप्पणी देने के लिये हार्दिक धन्यवाद !

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  28. धीरेन्द्र सिंह जी,
    बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद !

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  29. अबनीश सिंह चौहान जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !

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  30. अनिता जी,
    मैं आपको धन्यवाद भर कहूं तो कम होगा, आपके अपनत्व ने मुझे भावविभोर कर दिया है।

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  31. दिगम्बर नासवा जी,
    मेरा उत्साह बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद !

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  32. ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
    आपका सदा स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  33. कैलाश सी. शर्मा जी,
    मेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।

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  34. श्याम सखा 'श्याम' जी,
    आपका आना सुखद लगा ...... हार्दिक धन्यवाद !

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  35. दिलबाग विर्क जी,
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
    बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  36. ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
    आपका स्वागत है!

    जवाब देंहटाएं
  37. शुभम जैन जी,
    आपका स्वागत है।
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...

    जवाब देंहटाएं
  38. आशुतोष शर्मा जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद! कृपया सम्वाद भी बनाएं ।

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  39. बेटों की चाहतों ने---- वाह क्या शेर कहे हैं। वर्षा जी सुन्दर गज़ल के लिये बधाई।

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  40. बुनते नहीं पहर भी दिनों के लिबास को,
    होती नहीं सहर है जहाँ औरते नहीं !

    ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब

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  41. वर्षा मेम 1
    प्रणाम !
    बेहद ही सुंदर है ग़ज़ल हर शेर उम्दा है . बहुत बहुत बधाई .
    सादर

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  42. dr. sahiba pahli baar apko padha aur sach me bahut aanad aaya apki gazal padh kar...purush samaj samajhna chaahe to sacchayi to yahi hai...

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  43. ज्योति सिंह जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
    आपको भी महिला दिवस पर अनेक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  44. निर्मला कपिला जी,
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
    हार्दिक धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  45. निर्मला कपिला जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया !
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
    आपका सदा स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  46. कुश्वंश जी,
    आपका स्वागत है।
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका आभार...
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।

    जवाब देंहटाएं
  47. सुनील गज्जाणी जी,
    बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद.

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  48. अनामिका जी,
    आपका आना सुखद लगा ...... हार्दिक धन्यवाद!
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  49. dr.sahiba apke dwara likhi gazal bahut pasand aae
    sabse pahle aap ko meri taraf se mubarakbaad.
    aap dr.hone ke saat-2 umda shayira hai..

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  50. ग़ज़ल
    उम्दा.
    हर
    शेर
    उम्दा.
    सलाम.

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  51. AREEBA,
    Thank you for visiting my blog!
    I feel honored by your comment.

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  52. निवेदिता जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...
    हार्दिक धन्यवाद !

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  53. आदरणीया वर्षा सिंह जी
    सादर अभिवादन !

    वो घर भी कोई घर है … जहां औरतें नहीं ?
    आऽहाऽऽह ! कितना सही कहा है आपने …

    एक पंजाबी रचना याद आ रही है
    चुल्हे अग न घड़े दे विच पाणी , कॅ छड़ियां दी जिंदगी बुरी

    गंभीर हो जाते हैं …
    पूरी ग़ज़ल इतनी बेहतरीन है , तीन बार तो पढ़ कर यूं ही चला गया ,ताकि कमेंट करने के लिए एक बार और पढ़ने का अवसर पा सकूं …
    'वर्षा ' न ढल सकेंगी ग़ज़ल में कहानियां ,
    खोई हुई बहर है , जहां औरतें नहीं !

    इस शानदार ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बहुत मुबारकबाद !

    मैंने भी कहा है …

    मां पत्नी बेटी बहन ; देवियां हैं , चरणों पर शीश धरो !

    विश्व महिला दिवस की हार्दिक बधाई !
    शुभकामनाएं !!
    मंगलकामनाएं !!!


    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  54. अरे ,इतनी प्यारी ग़ज़ल को मैं समय से देख नहीं पाया.
    महिला दिवस पर इससे खूबसूरत ग़ज़ल तो मैंने देखी नहीं.
    और भ्रूण हत्या पर सार्थक सन्देश देता ये शेर तो कमाल कर गया.
    बेटों की चाहतों ने हमें ये भुला दिया ,
    शमशान वो शहर है जहाँ औरतें नहीं.
    WONDERFUL REALLY.

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  55. राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
    आपकी अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूं...
    हार्दिक धन्यवाद !

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  56. कुंवर कुसुमेश जी,
    आपको अत्यंत विनम्रतापूर्वक मेरा नमन........
    आपको यदि शुक्रिया मात्र कहूं तो वह नाकाफी रहेगा।
    बहुत-बहुत आभार......

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  57. खरे खरे सच सच शेर ...गज़ब की गज़ल! बधाई..

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  58. बेहद सुंदर गजल है --मेरे ब्लाक पर भी आए --धन्यवाद

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  59. समीर लाल जी,
    अनुग्रहपूर्ण बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए......हार्दिक धन्यवाद.

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  60. स्वराज्य करुण जी,
    आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए।

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  61. दर्शन कौर धनोए जी,
    आपका आना सुखद लगा ...... आपका स्वागत है।
    हार्दिक धन्यवाद !
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया.

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  62. HARISH JAIPAL MALI JI,
    Thank you for visiting and following my blog!
    Your comments are awaited.

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  63. अनामिका जी,
    हार्दिक धन्यवाद !
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया.
    आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  64. बेहद खूबसूरत ,औरत तो स्रिष्टि का आधार है

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  65. अजय कुमार जी़,
    आपका स्वागत है...
    मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी करने के लिए
    आपका बहुत-बहुत आभार......

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  66. लोकेन्द्र सिंह राजपूत जी,
    देर से सही, आपका आना सुखद लगा ...... हार्दिक धन्यवाद !
    आभारी हूं आपकी......विचारों से अवगत कराने के लिए।

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  67. होती नहीं सहर है जहां औरतें नहीं....
    बहुत खूब....
    बहुत ही सुंदर ग़ज़ल कही है....

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  68. वीना जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...
    हार्दिक धन्यवाद !
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  69. खोयी हुई बहर है..............

    वाह क्या शेर कहा है.........बहुत खूब

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  70. 'साहिल'जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...
    हार्दिक धन्यवाद !
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  71. सवाई सिंह राजपुरोहित जी,
    भारत के विश्व चैम्पियन बनने एवं नवसंवत्सर पर आप को भी हार्दिक शुभकामनाएँ!

    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...
    हार्दिक धन्यवाद !
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

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  72. "shamshaan vo shahr hai jahaan aurten nahin "bahut khoob khaa -isliye to bnaa huaa hai -"Mothers womb childs Tomb "-thanks to ultrsound .
    Behatreen prastuti yathaarth parak .ek saanjhaa anubhooti kaa sajiv dastaa- vez hai yah "GAZAL".
    veerubhai .

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  73. वीरु भाई जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
    कृपया इसी तरह संवाद बनाए रखें.

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  74. वर्षा जी, आपके ब्लॉग पर पहली बार आया ओर आपकी गज़लों को पढ़ कर वाह-वाह कर उठा. महिला दिवस पर आपने जो ग़ज़ल कही है, उसकी प्रशंसा मे तो जो भी कहूँ, वो कम है. सुंदर भावना को सुंदर शब्दों मे पिरोकर आपने मर्मस्पर्शी बना दिया है. आशा है कि आपकी गज़ल से लोगों को काफी प्रेरणा मिलेगी. बाकी गज़लों ने भी काफी प्रभावित किया. आपके अनवरत लेखन के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ.

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  75. KESHVENDRA ji,
    It's pleasure to me . I feel honored by your comment.

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  76. Richa P Madhwani ji,
    Thank you for visiting my blog! I thoroughly am enjoying reading yours!

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  77. https://www.talentedindia.co.in/literature/poetry/womens-day-special-a-ghazal-in-respect-of-the-women

    पहली बार आपके ब्लॉग पर आया। महिला दिवस की यह ग़ज़ल पढ़कर बेहद सुकून मिला। आपकी यह ग़ज़ल आपकी बिना इजाजत के अपने न्यूज पोर्टल पर डाल रहा हूँ, क्योंकि आपकी यह ग़ज़ल लोगों तक जरूर पहुंचनी चाहिए। अपने पोर्टल की लिंक दे रहा हूँ अगर कोई गलती हुई हो तो क्षमा करें।

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