रविवार, मार्च 18, 2012

Dr Varsha Singh’s Ghazal by Ahamad Hussain Mohammad Hussain at Sanjay Gandhi PG Institute of Medical sciences, Lucknow. Dec 2011



कृपया इसे You Tube पर देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -


http://youtu.be/EkK4JiEfHus



हुसैन बंधुओं द्वारा मेरी इस ग़ज़ल को गाया गया है-


इक न इक दिन फ़ैसला होगा ज़रूर।
वक्त ने  उसको  छला  होगा ज़रूर।

पांव में  छाले  यूं  ही  होते  नहीं
कुछ क़दम तो वो चला होगा ज़रूर।

बेवज़ह   तनहाइयां   भाती  नहीं
इश्क़ का  ये मामला  होगा ज़रूर।

ताकि ‘वर्षा’ हो सके कल फिर सुबह
इसलिए  सूरज  ढला  होगा ज़रूर।
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