ग़ज़लयात्रा GHAZALYATRA
ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
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मंगलवार, अगस्त 22, 2017
साथी .....
चार दिनों का मेला, साथी
क्या-क्या हमने झेला, साथी
हरदम मात मिली क़िस्मत को
खेल समय ने खेला साथी
सपने अक़्सर बहा ले गया
मज़बूरी का रेला साथी
ख़ूब बटोरी शोहरत लेकिन
हाथ नहीं है धेला, साथी
एक अकेला तन्हा दिल है
"वर्षा" का अलबेला साथी
- डॉ वर्षा सिंह
1 टिप्पणी:
Goswami Rishta
24 अगस्त, 2017 16:43
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