सोमवार, नवंबर 27, 2017

एक ग़ज़ल चांद पर ....


Dr. Varsha Singh

रात के माथे टीका चांद
खीर सरीखा मीठा चांद
हंसी चांदनी धरती पर
आसमान में चहका चांद
महकी बगिया यादों की
लगता महका महका चांद
उजली चिट्ठी  चांदी- सी
नाम प्यार के लिखता चांद
"वर्षा" मांगे दुआ यही
मिले सभी को अपना चांद
- डॉ वर्षा सिंह

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