मंगलवार, दिसंबर 12, 2017

शाम आई ..

शुभ संध्या मित्रों,

फिर नयी इक शाम आई
साथ अपने  रात  लाई

एक मिसरा दोस्ती तो
एक मिसरा बेवफाई

कुछ यहां लिखना कठिन है
काग़जों पर रोशनाई

और कब तक बच सकेंगे
वक़्त की दे कर दुहाई

किस तरह स्वेटर बुनें हम
बीच से टूटी सलाई

क्या कहें " वर्षा" किसी को
ग़म हुए हैं एकजाई
   
     ❤ - डॉ. वर्षा सिंह

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