रविवार, अक्तूबर 14, 2018

पंकज सुबीर की शायरी

Dr. Varsha Singh

यूं तो पंकज सुबीर कथा साहित्य के क्षेत्र में एक विशेष स्थान रखते हैं। ‘अकाल में सारस’ जैसी कथाकृति कथा साहित्य में एक मिसाल है। कहानी संग्रह ’महुआ घटवारिन और अन्‍य क‍हानियां’ के लिये पंकज सुबीर को वर्ष 2012 का ’कथा यूके अंतर्राष्‍ट्रीय इन्‍दू शर्मा कथा सम्‍मान’ से सम्मानित किया जा चुका है। किन्तु पंकज की शायरी भी उतनी ही उम्दा है।
गद्य और पद्य लेखन में बराबरी से दखल रखने वाले,‘अभी तुम इश्क में हो’ ग़ज़ल संग्रह के सृजनकर्ता पंकज सुबीर की शायरी उर्दू की रवायती शायरी है, जो गजलों को उनके  पारंपरिक अंदाज़ में बयां करती हैं। नाजुक और दिल को छूने वाली ग़ज़ल कहने में सिद्धहस्त शायर पंकज सुबीर के चंद अशआर मैं यहां प्रस्तुत कर रही हूं जो मुझे भी बेहद पसंद हैं… और जो मेरे इस ब्लॉग ग़ज़लयात्रा के पाठकों को भी पसंद आयेंगे-
बड़ी जानी हुई आवाज़ में किसने बुलाया है
कोई गुज़रे हुए वक्तों से शायद लौट आया है
हमारा नाम ही आया नहीं पूरे फ़साने में
कहानी को कुछ इस अंदाज से उसने सुनाया है
सुबीर के ग़ज़ल संग्रह की शीर्षक ग़ज़ल के ये शेर देखें-
अभी समझाएँ क्या तुमको, अभी तुम इश्क़ में हो
अभी तो बस दुआएँ लो, अभी तुम इश्क़ में हो
तुम्हारे हाथ में जलती रहे सिगरेट मुसलसल
कलेजे को जरा फूँको अभी तुम इश्क़ में हो
पंकज सुबीर

….. और सुबीर की इश्क़ में उपजी समस्याओं के प्रति यह बयानगी देखिये -
लगा लो दिल अगर तो दिल लगाना भी समस्या है
किस्से बन गए कितने जरा सा मुस्कुराने पर
तुम्हारे शहर में तो मुस्कुराना भी समस्या है
सुना है जुगनुओं से हो गया नाराज़ है सूरज
किसी का बहुत ज्यादा जगमगाना भी समस्या है
यूँ सारी रात बरसोगे तो प्यासा मर ही जाएगा
किसी प्यासे पे ज़्यादा बरस जाना भी समस्या है

सुबीर की शायरी संवेदनशील रूमानियत के धरातल पर मजबूती से ठहरी हुई शायरी है, एक उदाहरण देखें-
किसी का जुल्फ़ से पानी झटकना
इसी का नाम बारिश है महोदय
ये नज़रें आज फिर कुर्की करेंगी
बताओ किस पे नालिश है महोदय
मुझे सूली चढ़ा कर ख़त्म कर दो
मेरे सीने में आतिश है महोदय

सुबीर की शायरी दिल को छू लेने वाली शायरी है -
दरख्तों से गिरते हुए ज़र्द पत्ते
हवाओं में यूँ ही बिखरते रहेंगे
ये मौसम है मौसम,कहाँ ये रूके हैं
गुज़रते रहे हैं,गुज़रते रहेंगे
 
‘अभी तुम इश्क़ में हो’ के विमोचन के अवसर पर पंकज सुबीर

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ...
    गुरुदेव की किताब का दिलचस्प आंकलन ... शर्माती हुयी लजाती हुयी शायरी तो पंकज जी की ख़ासियत है ...
    बहुत लाजवाब समीक्षा ...

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  2. आदरणीय वर्षा जी -- आदरणीय पंकज सुबीर जी किसी औपचारिक परिचय के मोहताज नही | मैंने विभिन्न पत्रिकाओं में उनकी मर्मस्पर्शी अनेक कहानिया खूब पढ़ी हैं | पर उनके कवि रूप से अपरिचित नहीं थी आज जानकर बहुत अच्छा लगा | उनकी रचनाओं के सभी अंश बहुत उम्दा हैं | आपको विशेष आभार और शुभकामनायें |

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  3. धन्यवाद रेनू जी

    आपने मेरी पोस्ट को पढ़ा और टिप्पणी दिया इसके लिए आपके प्रति मेरा आभार 🙏

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  4. वाह वाह गुरु जी का तो अंदाज़ ही निराला है । शेअर करने के लिए शुक्रिया

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  5. जब पंकज जी की ग़ज़ल पढ़ता हूँ तो मन के साथ तन भी डूब जाता है।किसी गहरे समन्दर में, वे इतनी मसरूफियत से लिखते हैं कि बस दिल में छेद कर देंगे।उनकी गज़लें पेश करने के लिए आपको बहुत धन्यवाद।।

    श्याम सुंदर तिवारी
    खण्डवा मध्यप्रदेश
    9340517010

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