मंगलवार, अक्तूबर 16, 2018

अशोक जमनानी की ग़ज़लें

Dr. Varsha Singh

हिन्दी में ग़ज़ल लिखने की परम्परा काफी पुरानी है । अमीर खुसरो को यदि हिन्दी का पहला रचनाकार माना जाता हैं तो हिन्दी के पहले ग़ज़लकार भी अमीर खुसरो ही हैं। अमीर खुसरो ने अपनी रचनाओं के माध्यम से हिन्दी काव्य रचना की अंगभूत विधा के रूप में ग़ज़ल रचना का भी सूत्रपात किया। ख़ुसरो ने अपने समय की प्रचलित खड़ी बोली अर्थात् हिन्दवी में काव्य रचना की प्रक्रिया में फारसी साहित्य की इस प्रमुख विधा के कलेवर को अपनाकर नए प्रयोग के साथ उसे नया मुकाम देने की कोशिश की। हिन्दी में गजल को अलग पहचान देने का श्रेय दुष्यंत कुमार को दिया जाता है । लेकिन इसके पहले शमशेर ने गजल की विषयगत संकीर्णता से बाहर आकर उसे व्यापक भावभूमि देने की कोशिश कर चुके थे। दुष्यंत कुमार ने हिंदी में ग़ज़ल लेखन के विरोधों और आलोचनाओ के खिलाफ़ बागी तेवर अपनाया, जो लोगों को काफी पसंद आया और उनके पीछे एक पूरी पीढ़ी ग़ज़ल लेखन में उतर आई। उन्होंने ग़ज़ल को हिन्दी कविता की स्वतन्त्र विधा के रूप में स्थापित भी किया । इसी परम्परा का निर्वाह करते हुए अशोक जमनानी ने अपनी ग़ज़लों के माध्यम से अपनी संवेदनाओं को जिस प्रकार व्यक्त किया है वह उल्लेखनीय है। वे लिखते हैं-

अभी मेरी उंगलियों में तितलियां नहीं
फूलों को छू सकूं अभी हकदार नहीं हूं

अशोक जमनानी की ग़ज़ल सामाजिक सरोकारों के व्यापक कैनवास से जुड़कर जीवन के अनुभवों को अभिव्यक्त करने लगती है –

वे छांव के गीत गाते हैं
बस धूप में बिठाते हैं
- अशोक जमनानी

अशोक जमनानी हमारे समय की चुनौतियों को बहुत
Ashok Jamnani
खुली और पैनी नज़र से देखते हैं-
ज़िंदगी ये मेरी बहुत कम है पड़ गयी
उनको है भूलना तो ख़ुदा और उम्र दे

दर्द मेरे घर का आंगन भी है बिस्तर भी
कुछ कोने अभी खाली ख़ुदा और उम्र दे

मैं शहर में पूरी तरह बदनाम नहीं हूँ
कुछ कर गुजरना है ख़ुदा और उम्र दे

मेरी बातें सुनकर ही कुछ लोग रो दिए
कुछ दोस्त अभी बाकी ख़ुदा और उम्र दे

जो मेरे पास था वो सब दफ़्न कर चुका
कुछ ख्वाब अभी बाकी ख़ुदा और उम्र दे

कई आस्तीनों में अभी कुछ भी नहीं पलता
कुछ संाप ढूँढने  है तो ख़ुदा और उम्र दे

हिन्दी गज़ल की परम्परा में नित नये स्वर उभर रहे हैं। नये मानक भी बन रहे हैं। इनके बीच अशोक जमनानी की ग़ज़लों में निहित सरोकार अपनी अलग ही छवि स्थापित करते हैं-

मेरी दर्द वाली रातों की नज़र उतार देना
ये गर रहीं सलामत तो महका करेंगी ग़ज़लें

फ़स्ले बहार आलम में आँखों का नम रहना
 खुश मौसमों में ऐसे छलका करेंगी ग़ज़लें

  कभी अकेलापन हो तो खुद से मिलके देखो
  ख़ामोशी की अदा में बातें करेंगी ग़ज़लें

  दिल से जुड़े है ख्वाब तो न कोई दुआ मांगों
  ग़र ना कुबूल हो तो रोती बहुत हैं ग़ज़लें

गुलपोश करके रखना एहसासों को हमेशा
   एहसास साथ होंगे तो जिंदा रहेंगी ग़ज़लें

                - अशोक जमनानी

अशोक जमनानी का जन्म इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश ) में  हुआ परन्तु बचपन  ही में वे परिवार के साथ मध्य प्रदेश के नर्मदा तट पर बसे छोटे  से नगर होशंगाबाद आ गए। साहित्य में गहरी रूचि ने कविता लेखन की  प्रेरणा दी और फिर कविताओं से आरम्भ हुई साहित्यिक यात्रा ने  अशोक जमनानी को देश के  चर्चित कवि और कथाकार के रूप में स्थापित किया। अशोक जमनानी देश में सर्वाधिक पढ़े जाने वाले हिंदी कथाकारों में शुमार होते हैं। उनके पहले उपन्यास को अहम् के आठ संस्करण आ चुके हैं।
प्रकाशित कृतियाँ :
01. को अहम्
02. बूढ़ी डायरी
03. व्यास गादी
04. छपाक- छपाक
05. खम्मा
06.अमृत वेलो
07. कहानी संग्रह ( चार खंड )
उपलब्धियां  :

साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश का वीरसिंह जूदेव राष्ट्रीय पुरस्कार     
साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश  का दुष्यंत कुमार पुरस्कार
सिंधी साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश का कृति पुरस्कार
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पुरस्कार
माधव ज्योति राष्ट्रीय अलंकरण
केंद्रीय साहित्य अकादमी द्वारा आथर्स ट्रेवल ग्रांट
राज भाषा वांग्मय अलंकरण
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् द्वारा मुंशी प्रेमचंद सम्मान
साहित्य और समाज सेवा से जुड़ी कई संस्थाओं द्वारा सम्मान
स्पिक मैके में राज्य समन्वयक एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य
आकशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से कहानियों एवं वार्ताओं का प्रसारण
दूरदर्शन (नेशनल एवं क्षेत्रीय ) पर कार्यक्रम
विभिन्न पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में रचनाओं का प्रकाशन
लघु फ़िल्म के लिए  गीत लेखन
सम्पूर्ण देश में 300 से अधिक स्थानों पर व्याख्यान एवं काव्य पाठ .
             --------
Ashok Jamnani with Irfan khan

6 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही और सटीक...

    कितना कीमती हूँ कि, बस यूँ समझ मुझे;
    जैसे बेरोज़गार का, हो सिक्का आख़िरी।
    - अशोक जमनानी

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  2. हर्षवर्धन जी, वास्तव में अशोक जमनानी जी कमाल के शेर कहते हैं।

    धन्यवाद आपको टिप्पणी करने के लिए।

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  3. आदरणीय वर्षा जी ०० आज आपके ब्लॉग पर कई पोस्ट पढ़ी | गजलों और गजलकारों पर आपका शोध बहुत ही महत्वपूर्ण है | आदरणीय अशोक जी के नाम से ज्यादा वाकिफ नही थी पर आज जानकर बहुत अच्छा लगा , जिसके लिए आपको सस्नेह आभार |

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  4. बहुत बहुत आभार रेनू जी 🙏
    मेरा प्रयास है कि ग़ज़ल से स्नेह रखने वाले सुधी पाठकों को ग़ज़ल के सृजनकर्ताओं की यात्रा में सहभागिता मिल सके।

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  5. अशोक जी की ग़ज़लें लाजवाब और अलग अन्दाज़ की हैं ।।... बहुत बधाई अशोक जी को ...

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  6. आपको भी बहुत बहुत आभार, नासवा जी 🙏

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