सोमवार, दिसंबर 03, 2018

उर्दू- हिन्दी शायरी में चांद और चांदनी - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh
उर्दू- हिन्दी शायरी में चांद और चांदनी पर बहुत कुछ कहा - लिखा गया है। आज शायरी चांद और चांदनी की चर्चा कर रही हूं। ये कुछ ऐसे अशआर, कुछ ऐसी ग़ज़लों का ज़िक्र कर रही हूं मैं, जो मुझे अच्छे लगते हैं…. यकीनन आपको भी पसंद आयेंगे।

बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद
कोई साज़िश छुपा रहा है चाँद


छू के देखा तो गर्म था माथा
धूप में खेलता रहा है चाँद

सूखी जामुन के पेड़ के रस्ते
छत ही छत पर जा रहा है चाँद
- गुलज़ार

चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
- फ़रहत एहसास

हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा
- बशीर बद्र


ये तो देखने पर है ये तो सोचने पर है
चाँद आरज़ू भी है चांदनी कफ़न भी है
- राही मासूम रज़ा


Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh

ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गयी
ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गयी

एक मैं, एक तुम, एक दीवार थी
ज़िन्दगी आधी आधी बंटी रह गयी

मैंने रोका नहीं वो चला भी गया
बेबसी दूर तक देखती रह गयी

मेरे घर की तरफ धूप की पीठ थी
आते आते इधर चांदनी रह गयी
-बशीर बद्र

दिल में ऐसे उतर गया कोई
जैसे अपने ही घर गया कोई

इतने खाए थे रात से धोखे
चाँद निकला कि डर गया कोई

इश़्क भी क्या अजीब दरिया है
मैं जो डूबा, उभर गया कोई
- सूर्यभानु गुप्त

कल चौदवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा
- इब्ने इंशा

Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh
चांदनी छत पे चल रही होगी
अब अकेली टहल रही होगी
– दुष्यंत कुमार


मन में सपने अगर नहीं होते,
हम कभी चाँद पर नहीं होते।

सिर्फ जंगल में ढूँढ़ते क्यों हो?
भेड़िए अब किधर नहीं होते।

जिनके ऊँचे मकान होते हैं,
दर-असल उनके घर नहीं होते।

प्यार का व्याकरण लिखें कैसे,
भाव होते हैं स्वर नहीं होते।
- उदयभानु 'हंस'

दूर के चांद को ढूंढो न किसी आँचल में
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला
- निदा फ़ाज़ली


तुम भी लिखना तुम ने उस शब कितनी बार पिया पानी
तुम ने भी तो छज्जे ऊपर देखा होगा पूरा चाँद
- निदा फ़ाज़ली


Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh


जिंदगी की हर मंजिल मुकद्दर की कैद में
आज भी है मेरा साहिल समंदर की कैद में

रोते हुए बादल को है सदियों से ये खबर
जलती हुई चांदनी है एक पत्थर की कैद मेंं
- राजीव सिंह


रात हुई है चाँद जमीं पर हौले-हौले उतरा है,
तुम भी आ जाते तो सारा नूर मुकम्मल हो जाता
- कुमार विश्वास

उसी तरह से हर इक ज़ख़्म खुशनुमा देखे
वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे

गुज़र गए हैं बहुत दिन रिफ़ाक़ते-शब में
इक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे
- परवीन शाकिर

Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh

रात को रोज़ डूब जाता है
चाँद को तैरना सिखाना है
- बेदिल हैदरी

वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
- फ़रहत एहसास

माथे पे तेरे चमके है झूमर का पड़ा चाँद
ला बोसा चढ़े चाँद का वादा था चढ़ा चाँद
- ज़ौक

रात के नाम  एक ख़त लिखना
चांद है फिर उदास मत लिखना
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

नींद आए तो ख़्वाब  आएंगे
होंठ  कुछ लम्हा मुस्कुराएंगे
चांद का नूर याद कर कर के
रात   की आयतें   सुनाएंगे
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह


Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh


बेचैनी की गठरी में बंध, रातें लगतीं बुझी-बुझी सी
आसमान पर चांद अकेला देर रात मुझ पर रोता है
अपनी तनहाई के ख़त को रोज खोलना, रोज बांचना
हर कोई अपने *माज़ी को आखिर क्यों इतना ढोता है ?
(*माज़ी=अतीत)                            
   - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह

चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा

जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
- मीना कुमारी


Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh


चाँद तारों की गुफ्तगू सुनता रहा रात भर
जलन से बादल रंग बदलता रहा रात भर

मखमल के बिस्तर से सड़क के फुटपाथ तक
ख़ाबों का सौदा होता रहा रात  भर
- पंकज शादाब

आलम   ही ऐसा  बना कि बर्बाद  हो गये ,
बर्बादी  ने लगायें  चार चाँद , मशहूर  हो गये।
- अनिता सैनी

उमर की पटरियों पर जिंदगी की रेल है
ये मरना और जीना तो समय का खेल है

तिरा मासूम चे‍हरा जुल्‍फ काली और घनी
के जैसे चांद का संग बादलों के खेल है
  - दिगम्बर नासवा

Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh

जख्‍म पर मरहम लगाने क्‍यों नहीं आते
गीत कोई गुनगुनाने क्‍यों नहीं आते

आसमां से चांद तारे छीन लाऊंगा
हौसला मेरा बढ़ाने क्‍यों नहीं आते

बंद है मुट्ठी में मेरी सावनी बादल
है जो हिम्‍मत घर जलाने क्‍यों नहीं आते

रात भीगी सी है और महका हुआ दिन है
ख्‍वाब आंखों में सजाने क्‍यों नहीं आते
- दिगम्बर नासवा


तीरगी चाँद को ईनाम-ए-वफ़ा देती है,
रात-भर डूबते सूरज को सदा देती है
- शमीम हनफ़ी


कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
-निदा फ़ाजली


मैंने देखा, मैं जिधर चला,
मेरे सँग सँग चल दिया चाँद
पीले गुलाब-सा लगता था
हल्के रंग का हल्दिया चाँद
- पण्डित नरेन्द्र शर्मा

Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh

गज़ल को ले चलो अब गांव के दिलकश नज़ारों में।
मुसलसल फ़न का दम घुटता है इऩ अदबी इदारों में।
अदीबो, ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ
मुल्लमे के सिवा क्या है फ़लक के चांद-तारों में
- अदम गोंडवी

चाँद है ज़ेरे-क़दम. सूरज खिलौना हो गया
हाँ, मगर इस दौर में क़िरदार बौना हो गया
शहर के दंगों में जब भी मुफलिसों के घर जले
कोठियों की लॉन का मंज़र सलोना हो गया
- अदम गोंडवी

....... और अंत में मेरी यानी डॉ. वर्षा सिंह की शायरी में शामिल चांद और चांदनी 😊❤😊

तुम रात के सिरहाने इक चांद तो रख जाते
नींदों  में उदासी  के सपने तो  नहीं आते
- डॉ वर्षा सिंह

रात के माथे टीका चांद
खीर सरीखा मीठा चांद

हंसी चांदनी धरती पर
आसमान में चहका चांद

महकी बगिया यादों की
लगता महका महका चांद

उजली चिट्ठी  चांदी- सी
नाम प्यार के लिखता चांद

"वर्षा" मांगे दुआ यही
मिले सभी को अपना चांद
- डॉ. वर्षा सिंह

Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh

बज रही बांसुरी
सज रही ज़िन्दगी
चांद की आहटें
सुन रही चांदनी
मन में कान्हा बसे
रोशनी -  रोशनी
इश्क़ गढ़ने लगा
हर तरफ आशिक़ी
नेह - "वर्षा" हुई
भीगती शायरी
          - डॉ वर्षा सिंह


धरती पर पानी लिख देना
आंचल को धानी लिख देना

चाहत पर बंधन का पहरा
कुछ तो मनमानी लिख देना

बेशक लिखना अमर प्यार को
दुनिया को फानी लिख देना

इंतज़ार में चांद - रात के
दिन की कुर्बानी लिख देना

मौसम को यदि राजा लिखना
"वर्षा" को रानी लिख देना

       ❤ डॉ. वर्षा सिंह


Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh


3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूब ...
    एक और नायब पोस्ट ... चाँद, चन्दनी जो शायरों को सबसे ज्यादा पसंद है और जिसपे हर शायर ने इतना खूबसूरती से लिखा है की शायद हज़ारों लाखों अंदाज़ में चाँद को लिखा गया है ....
    इतने शायरों के कलाम एक ही पोस्ट में और एक विषय पे लिखना बहुत महनत का काम है ... नमन है आपके कार्य को ...
    आभार मेरे शेरों को भी यहाँ शामिल करने के लिए ...

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    1. बहुत बहुत आभार आपका नासवा जी,
      आपने प्रशंसा की तो मेरा श्रम सार्थक हो गया।
      पुनः हार्दिक आभार
      🙏🌹🙏

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  2. बहुत ही सुन्दर गुलदस्ता संजोया है सखी पढ़कर बहुत खुशी हुई
    बहुत ही सुन्दर रचनाओं के बीच अपनी रचना देख ख़ुशी हुई,
    आप से मिल कर बहुत अच्छा लगा
    सादर

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