गुरुवार, मई 16, 2019

ग़ज़ल... दिल तो हुआ ग़ुलाम - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh


दिन डूबा और आई  शाम।
याद दिलाने फिर वो नाम।

उसने ही मुंह फेर लिया,
जिस पर वारी उम्र तमाम।

मेल, व्हाट्सएप चेक किये,
आया ना उसका पैगाम।

इश्क़ हुआ तब ये जाना,
इश्क़ का है ऐसा अंजाम।

ख़्वाब संजोए सत्ता के
"वर्षा" दिल तो हुआ ग़़ुलाम।

       - डॉ. वर्षा सिंह

ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह # ग़ज़लयात्रा


2 टिप्‍पणियां:

  1. मन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति, शब्दों द्वारा बेहद सुन्दर प्रकटीकरण हेतु बधाई ।

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    1. पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी,
      बहत-बहुत धन्यवाद 🙏

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