शनिवार, जून 01, 2019

ग़ज़ल... चलते जाओ - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

        मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 01 जून 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...

http://yuvapravartak.com/?p=15284


ग़ज़ल
       चलते जाओ !
                    - डॉ. वर्षा सिंह
जब तक सांसें चलती हैं, चलते जाओ !
जीवन की इस नदिया में बहते जाओ !

औरों की बातें सुनना मज़बूरी है,
चुप न रहो, कुछ अपनी भी कहते जाओ !

आज सरीखा कल  हो, नहीं ज़रूरी है,
करना है जो आज - अभी करते जाओ !

यह तेरा, वह मेरा, सब कुछ मिथ्या है,
सत्य जगत में राम नाम, गुनते जाओ !

पढ़ कर जिसको मिले प्रेरणा दुनिया को,
"वर्षा" ऐसी कथा नई गढ़ते जाओ !
                --------------


4 टिप्‍पणियां:


  1. जी नमस्ते,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-06-2019) को

    " नौतपा का प्रहार " (चर्चा अंक- 3355)
    पर भी होगी।

    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

    आप भी सादर आमंत्रित है


    अनीता सैनी

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  2. प्रेरणादायी पंक्तियाँ

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