गुरुवार, मई 28, 2020

ग़ज़ल | वक़्त गुज़र जाता है | डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

ग़ज़ल

वक़्त गुज़र जाता है
            - डॉ. वर्षा सिंह

यादें बाकी रह जाती हैं, वक़्त गुज़र जाता है।
जिसे भूलना चाहो अक्सर, वही नज़र आता है।

जीवन की यह नदी डूब कर, पार इसे करना है,
मन में जिसके संशय हो वह, नहीं उबर पाता है।

अहसासों की दहलीज़ों को, साफ़ करो फिर देखो,
हर पल अपने साथ हमेशा, नई ख़बर लाता है।

दर्द ज़माने भर का जिसने, पाल लिया हो  दिल में,
इसमें दो मत नहीं वही तो, गीत मधुर गाता है।

सूरज का दिन से है जैसा, चंदा का रातों से
"वर्षा" का बादल से वैसा ही बेहतर नाता है।

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    मेरी यह ग़ज़ल आज web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 29.05.2020 में प्रकाशित हुई है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=33828



16 टिप्‍पणियां:

  1. दर्द ज़माने भर का जिसने, पाल लिया हो दिल में,
    इसमें दो मत नहीं वही तो, गीत मधुर गाता है।
    बहुत खूब वर्षा जी !! दर्द भरे गीत ही साहित्य और मानवता की अनमोल थाती हैं | सुंदर रचना के लिए शुभकामनाएं|

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    1. आपके प्रति हार्दिक आभार रेणू जी 🙏💐

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(३०-०५-२०२०) को 'आँचल की खुशबू' (चर्चा अंक-३७१७) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  3. बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता सैनी जी🙏
    आपने मेरी इस ग़ज़ल को "चर्चा मंच" में शामिल करने योग्य समझा ... पुनः हार्दिक धन्यवाद🙏💐

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  4. उत्तर
    1. आपने उम्दा कह दिया... तो फिर ये वाकई उम्दा है।
      बहुत हार्दिक आभार आदरणीय शास्त्री जी 🙏

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  5. उत्तर
    1. हार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी 🙏💐

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  6. यादें बाकी रह जाती हैं, वक़्त गुज़र जाता है।
    जिसे भूलना चाहो अक्सर, वही नज़र आता है।

    लाजवाब ,शानदार ,बधाई हो ,सादर नमन

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  7. बेहतरीन व लाजवाब ग़ज़ल वर्षा जी ।

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  8. एक बार फिरपढ़कर अच्छा लगा ��������

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    1. प्रिय रेणू जी , हृदय से धन्यवाद आपको ❤

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