शुक्रवार, जनवरी 15, 2021

एक अदद दरिया लिख देना | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है

Dr. Varsha Singh


एक अदद दरिया लिख देना


                 -डॉ. वर्षा सिंह


एक अदद दरिया लिख देना मेरी ख़ुश्क हथेली में 

जैसे मीठापन लिख डाला रब ने गुड़ की भेली में 


पत्ता-पत्ता शोर लिखा है, फूलों-फूलों में खुशबू 

एक कहानी लिखी हुई है मौसम की अठखेली में 


यूं तो कान लगे रहते हैं दरवाज़े की आहट पर 

सन्नाटा ही अक्सर छाया, तोरण बंधी हवेली में 


कच्ची नींदों वाली रातें, आंखों-आंखों गुज़र गईं

सांझ हुए से मन जा अटका, अदना एक पहेली में 


"वर्षा" की बूंदों के पंछी आसमान से उतरे हैं 

जाने किसका पंख लिखा है इक गुलेल की ढेली में


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(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)

13 टिप्‍पणियां:

  1. यूं तो कान लगे रहते हैं दरवाज़े की आहट पर
    सन्नाटा ही अक्सर छाया, तोरण बंधी हवेली में ..
    सुंदर सटीक कथन.. बेहतरीन शेर लिखे हैं आपने वर्षा जी..

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय जिज्ञासा जी 🙏

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०१-२०२१) को 'ख़्वाहिश'(चर्चा अंक- ३९४८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. बहुत - बहुत आभार प्रिय अनीता सैनी जी 🙏

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  3. बहुत अच्छे शेर लिखे हैं प्रिय वर्षा जी।
    बढ़िया गज़ल।

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    1. प्रिय श्वेता जी, बहुत धन्यवाद आपको 🙏

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  4. वर्षा" की बूंदों के पंछी आसमान से उतरे हैं
    जाने किसका पंख लिखा है इक गुलेल की ढेली में
    बहुत खूब!! लाजवाब अशआरों से सजी खूबसूरत ग़ज़ल ।

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  5. बहुत शुक्रिया प्रिय अनुराधा जी 🙏

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  6. बहुत ही सुन्दर सृजन - - एक अलहदा एहसास।

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