tag:blogger.com,1999:blog-6876171477089853030.post3238040814163630714..comments2024-02-07T14:05:25.242+05:30Comments on ग़ज़लयात्रा GHAZALYATRA: ज़िन्दगी थम के रह गई जैसेDr Varsha Singhhttp://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6876171477089853030.post-41787368236904381382011-10-04T00:28:56.734+05:302011-10-04T00:28:56.734+05:30जिंदगी तो एक बेवफा ही है
कब ,किसको,कहाँ नहीं छलती....जिंदगी तो एक बेवफा ही है<br />कब ,किसको,कहाँ नहीं छलती.<br />खारे पानी में मत पकाया करो<br />दाल इसमें कभी नहीं गलती.<br /><br />आपकी गज़ल बेमिसाल है.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6876171477089853030.post-86317256309251427952011-10-03T21:31:20.102+05:302011-10-03T21:31:20.102+05:30यशवन्त माथुर जी,
आपको हार्दिक धन्यवाद!यशवन्त माथुर जी,<br />आपको हार्दिक धन्यवाद!Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6876171477089853030.post-10537495674767368972011-10-03T21:30:17.140+05:302011-10-03T21:30:17.140+05:30संगीता स्वरुप जी,
मेरी इस ग़ज़ल को नयी-पुरानी हलचल...संगीता स्वरुप जी,<br />मेरी इस ग़ज़ल को नयी-पुरानी हलचल में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी बेहद आभारी हूं.बहुत-बहुत धन्यवाद.Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6876171477089853030.post-1435693393473989612011-10-02T15:34:25.224+05:302011-10-02T15:34:25.224+05:30आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 03-10 - 2...आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 03-10 - 2011 को यहाँ भी है <br /><br /><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> ...नयी पुरानी हलचल में ...किस मन से श्रृंगार करूँ मैं </a>संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6876171477089853030.post-18825666150228341712011-07-24T19:46:14.458+05:302011-07-24T19:46:14.458+05:30शारदा जी,
आपका आना सुखद लगा ......
मैं आपको धन्यव...शारदा जी,<br />आपका आना सुखद लगा ...... <br />मैं आपको धन्यवाद भर कहूं तो कम होगा, आपके अपनत्व ने मुझे भावविभोर कर दिया है।<br /><br />कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6876171477089853030.post-61481521071891432822011-07-22T16:02:41.041+05:302011-07-22T16:02:41.041+05:30अत्यंत गहराई है आप की रचनाओं में ... 'आँचल को ...अत्यंत गहराई है आप की रचनाओं में ... 'आँचल को धनि लिख <br /><br />देना' , 'तुम आओ तो होली है'... ' जहाँ औरतें नहीं'....और <br /><br />तो और (वर्षा) मौसम को अपने नाम के साथ जोड़कर हमें भी भिगो <br /><br />दिया अपने... बहुत खूब...SARADA.C.D.http://nayiudan.blogspot.com/noreply@blogger.com