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सोमवार, जनवरी 31, 2011

ज़िन्दगी का सही पता औरत



25 टिप्‍पणियां:

  1. कहानी गीत और गज़ल औरत

    दूसरे के दुख से मचल औरत
    ओढ के समाज में गमों का लिबास
    देती है ज़िन्दगी यूँ सज़ल औरत

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  2. bahut hi sundar baat ki aapne
    varsha ji, bahut bahut aabhar
    in sundar panktiyon ke liye

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  3. बिल्कुल सही और भावना से परिपूर्ण लिखा है ...

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  4. नारी जीवन के त्याग और व्यथा को बहुत सुंदरता से उकेरा है...हरेक शेर दिल को छू जाता है..

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  5. shild, shabd sanyojan, vyangya sab kamaal ka hai...

    Badhaai...

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  6. ♛ अनुपम अग्रवाल जी
    ✤ संजय कुमार चौरसिया जी
    ♛ रश्मि प्रभा जी
    ✤ संगीता स्वरुप जी
    ♛ कैलाश शर्मा जी
    ✤ गिरीश पंकज जी
    ♛ सुशांत जैन जी
    आप सभी का हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।

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  7. jahan sneh mila wahi bati si jali
    manviya padap ki ye anmani kali .
    yahi hai aurat ki fitrat ,badhut badhiya likha hai aapne .badhai .

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  8. ज्योति सिंह जी, हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।

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  9. निवेदिता जी, बहुत -बहुत ..शुक्रिया.

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  10. नए आयामों की ग़ज़ल.

    सच यही है ज़रा इसे समझो
    ज़िंदगी का सही पता औरत.

    बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.
    आपकी कलम को सलाम.

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  11. Sagebob ji,Thanks for your comments.Hope you will be give me your valuable response on my future posts.

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  12. सच यही है जरा इसे समझो
    जिन्दगी का सही पता औरत
    उम्दा ग़ज़ल ...हर शेर खूबसूरत

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  13. सुरेन्द्र सिंह ‘ झंझट ’जी,
    आप को हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

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  14. ललित शर्मा जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका शुक्रिया...
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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  15. bahut hi sunder
    aapne nari ke har rup ko dikha diya
    aabhar
    ...mai aapka anusharan kar rhi hu
    ..

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  16. दीप्ति शर्मा जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए आपका धन्यवाद एवं आभार.....
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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  17. प्रदीप कांत जी,
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  18. "ZINDGEE KAA SAHI PATAA AURAT "-bahut khoob !
    KUCHCHH NA BEZAA KAHAA AAPNE RANCH BHI
    BHOGI HUI EK SAZAA AURAT .
    KUCHCHH TO DEKHO ! ZARAA !KYAA MAZAA HI MAZAA AURAT ?
    GUSTAAKHI KE LIYE MUAAFI,
    veerubhai .

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  19. MUSHAAYRAA HAI ,RASIYAA ,BALAA AURAT ,
    KHUDA KEE KHUDAAI ,RAHI AURAT !
    veerubhai .

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  20. YE YOO BHI HO SAKTAA THAA-
    MUSHAAYRAA HAI ,BADHIYAA GAZAL ,AURAT !

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  21. Garbh me roz hoti dafan aurat ,
    Yaatnaa kaa vo zindaa shivir aurat.
    zindgee kee poori kitaab ,
    Vafaa aurat .
    bhaavon ko nai parvaaz aur aalodan de jaatin hain aapki likhi kahi ,padhi panktiyaan .
    veerubhai .

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