Pages

रविवार, जुलाई 31, 2011

कोई अपना-सा मिल गया होगा ...


104 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ... बहुत खूबसूरत ..यूँ ही जलता रहे चाहत का दीप और रोशन रहे ज़िंदगी :)

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह बहुत ही खूबसूरत ख्याल्।

    जवाब देंहटाएं
  3. हर बार कि तरह खूबसूरत और सुन्दर ख्यालों से सजी प्यारी गज़ल |

    जवाब देंहटाएं
  4. जब अपनापन बसता है,
    कोई हृदय में हँसता है।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति |बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल...

    जवाब देंहटाएं
  7. सुन्दर खयालात हैं...बहुत खुबसूरत ग़ज़ल कही है आपने...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  8. खूबसूरत, सुन्दर.... ग़ज़ल

    जवाब देंहटाएं
  9. very nice...
    आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 01-08-2011 को चर्चामंच http://charchamanch.blogspot.com/ पर सोमवासरीय चर्चा में भी होगी। सूचनार्थ

    जवाब देंहटाएं
  10. संगीता स्वरुप जी,
    आपने मेरी इस गज़ल को पसन्द किया...हृदय से आभारी हूं.
    आपको अनेक धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  11. दीप्ति शर्मा जी,
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
    मेरे ब्लॉग पर आपके विचारों का हमेशा स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  12. वन्दना जी,
    अत्यन्त आभारी हूं आपकी......
    विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  13. सागर जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  14. मीनाक्षी पंत जी,
    मेरी गज़ल को आत्मीयता प्रदान करने के लिये आभार....

    जवाब देंहटाएं
  15. प्रवीण पाण्डेय जी,
    काव्यात्मक टिप्पणी के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  16. आशा जी,
    अत्यन्त आभारी हूं आपकी......
    विचारों से अवगत कराने के लिए. हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  17. कुमार जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया.... आभारी हूं।

    जवाब देंहटाएं
  18. एस एम हबीब जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं
  19. डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    जवाब देंहटाएं
  20. संजय कुमार चौरसिया जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  21. गिरीश पंकज जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    जवाब देंहटाएं
  22. चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ जी,
    आपकी इस सूचना ने मेरा उत्साह बढ़ाया है. इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  23. रोशी जी,
    आपका स्नेह मेरी गज़ल को मिला.....यह मेरा सौभाग्य है.
    आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....

    जवाब देंहटाएं
  24. behtreen gajal ,,,,,subhan allah...
    jai hind jai bharat

    जवाब देंहटाएं
  25. साजन आवारा जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  26. ये रंग ही ऐसा है कि इसके पड़ते ही इन्द्रधनुषी रंग बिखर जाते हैं।
    बेहतरीन ग़ज़ल।

    जवाब देंहटाएं
  27. मनोज कुमार जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    जवाब देंहटाएं
  28. शब्द वर्षा रहे ग़ज़ल में भावों को
    पढ़ा सुमन तो खिल गया होगा
    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति , सुन्दर भावाभिव्यक्ति , आभार

    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें

    जवाब देंहटाएं
  30. इन्द्रधनुषी ओढनी ...
    बहुत अच्छे भाव

    जवाब देंहटाएं
  31. mind blowing gajal ji .love song whispering one to
    one ,saying thanks ../

    जवाब देंहटाएं
  32. हर तरफ़ रौशनी की वर्षा है
    दीप चाहत का जल गया होगा।

    बेहतरीन शे"र , ख़ूबसूरत ग़ज़ल ।

    जवाब देंहटाएं
  33. हर तरफ़ रौशनी की वर्षा है
    दीप चाहत का जल गया होगा.

    तख़ल्लुस का अर्थपूर्ण इस्तेमाल आपकी विशेषता है.
    ग़ज़ल अच्छी है.

    जवाब देंहटाएं
  34. श्यामल सुमन जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी ग़ज़ल पसन्द आई। आपको बहुत बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  35. एस एन शुक्ला जी,
    मेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....

    जवाब देंहटाएं
  36. वंदना जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....

    जवाब देंहटाएं
  37. उदय वीर सिंह जी,
    आपने मेरी ग़ज़ल को पसन्द किया..सुखद लगा ...
    आभारी हूं।

    जवाब देंहटाएं
  38. अना जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  39. डॉ संजय दानी जी,
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं
  40. कुंवर कुसुमेश जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी गज़ल आपको पसन्द आई.... बहुत-बहुत आभार......

    जवाब देंहटाएं
  41. कनु जी,
    मेरी गज़ल आपको पसन्द आई यह जान कर सुखद अनुभव हुआ.
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  42. चाँद माथे की बन गया बिंदिया ,
    मन ख़ुशी से मचल गया होगा .
    कहाँ से लातिन हैं आप अलफ़ाज़ .हिमोग्लोबीन से ...

    जवाब देंहटाएं
  43. बहुत ही खूबसूरत ख्याल्।

    जवाब देंहटाएं
  44. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने ।

    जवाब देंहटाएं
  45. वाह बहुत ही खूबसूरत ख्याल्।

    जवाब देंहटाएं
  46. सुन्दर रचना .-राह में थक गए कदम होंगे ,
    कोई अपना सा मिल गया होगा .
    http://sb.samwaad.com/
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/http://veerubhai1947.blogspot.com/कृपया यहाँ भी कृतार्थ करें .

    जवाब देंहटाएं
  47. वीरू भाई जी,
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।

    जवाब देंहटाएं
  48. मृदुला हर्षवर्धन जी,
    आपने मेरी ग़ज़ल को पसन्द किया..सुखद लगा ...
    आभारी हूं।

    जवाब देंहटाएं
  49. सरोज राठौर जी,
    यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मेरी गज़ल आपको पसन्द आई.... बहुत-बहुत आभार......

    जवाब देंहटाएं
  50. सदा जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...
    हार्दिक धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  51. विद्या जी,
    मेरी गज़ल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार...
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराती रहें।

    जवाब देंहटाएं
  52. अनामिका जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
    हार्दिक धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  53. काजल कुमार जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी गज़ल पसन्द आई।
    हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद बनाए रखें।

    जवाब देंहटाएं
  54. सी.एस.देवेन्द्र के शर्मा जी,
    हार्दिक धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  55. वीरू भाई जी,
    आमन्त्रण के लिए आभार....

    जवाब देंहटाएं
  56. बहुत सुन्दर......गज़ब के अलफ़ाज़..

    इक इक हर्फ़ जैसे खुद में इक ग़ज़ल कहता है
    ...तखल्लुस के प्रयोग की जितनी तारीफ करूँ कम है
    कभी आरंभन पर भी आकर हमे कृतार्थ करें
    http://aarambhan.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  57. bahut achchi ghazal.mujhe ghazal humesha achchi lagti hai.

    जवाब देंहटाएं
  58. http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/http://sb.samwaad.com/
    खूब कहतीं हैं आप ग़ज़ल ,बारहा पढने चले आतें हैं ,
    प्रेम के सूक्ष्म रूप को देतीं हैं अलफ़ाज़ ये ग़ज़लें .कहने चले आतें हैं .शुक्रिया आपका ब्लॉग पर टिपियाने का .

    जवाब देंहटाएं
  59. एक गहरी छाप छोड़्ती है यह कविता मन पर!!

    जवाब देंहटाएं
  60. बहुत ही खूबसूरत शब्‍दों का संगम ...बधाई इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  61. shandar ghazal ke liye hadik badhayee..puri ghazal mujhe behad bhai..lekin pahle do sher dil ko choo gaye..pranam ke sath

    जवाब देंहटाएं
  62. फिर कोई नया गीत गाओ ,ग़ज़ल बन छा जाओ ...."...पूर्ती आप कीजिए
    कृपया यहाँ भी पधारें - http://www.blogger.com/home
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    http://sb.samwaad.com/
    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  63. कोमल अहसासों को पिरोती हुई खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  64. बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल...छूती है कहीं भीतर तक...बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  65. एस. विक्रम जी,
    आपने मेरी इस गज़ल को पसन्द किया...हृदय से आभारी हूं.
    आपको अनेक धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  66. राजेश कुमारी जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी यह गज़ल आपको पसन्द आई. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  67. वीरूभाई जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  68. संजय भास्कर जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    जवाब देंहटाएं
  69. संजय भास्कर जी,
    आपके पुनः आगमन.... और इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।

    जवाब देंहटाएं
  70. आशुतोष मिश्र आशू जी,
    आपका आना सुखद लगा ....
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार

    जवाब देंहटाएं
  71. Rajeev Panchhi ji,
    Very-very thanks for your valuable comment.

    जवाब देंहटाएं
  72. Veerubhai ji,
    It's a pleasure to have you on my blog. regards.

    जवाब देंहटाएं
  73. डोरोथी जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  74. समीरलाल जी, Udan Tashtari
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
    मेरे ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है,कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।

    जवाब देंहटाएं
  75. खूबसूरत, मनभावन, अनुपम प्रस्तुति.
    कोमल मधुर भावों का अहसास कराती हुई.
    आभार.
    मेरे ब्लॉग पर आपके दर्शनों की अपेक्षा है.

    जवाब देंहटाएं
  76. राकेश कुमार जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी यह गज़ल आपको पसन्द आई. आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  77. http://sb.samwaad.com/
    http://sb.samwaad.com/ शुक्रिया मैम.

    जवाब देंहटाएं
  78. वीरूभाई जी,
    बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  79. रंजो गम अब नहीं हमको .शुक्रिया क्यों अदा करें उनका ." बहर सूरत आपकी शानदार प्रस्तुतियों का इंतज़ार करने का हक़ हासिल है हमको . शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
    Erectile dysfunction? Try losing weight Health
    ...क्‍या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
    Posted by veerubhai on Monday, August 8
    Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/

    जवाब देंहटाएं
  80. "कोई अपना सा मिल गया हमको ,
    रंजो गम अब नहीं हमको .शुक्रिया क्यों अदा करें उनका ." बहर सूरत आपकी शानदार प्रस्तुतियों का इंतज़ार करने का हक़ हासिल है हमको . शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
    Erectile dysfunction? Try losing weight Health
    ...क्‍या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
    Posted by veerubhai on Monday, August 8
    Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/

    जवाब देंहटाएं
  81. वीरूभाई जी,
    आग्रह के लिए आभार...

    जवाब देंहटाएं
  82. Bahut Achha likha hai apne Dr, Varsha Singh ji Apne aur bahut khubsurat andaaz se

    Sahi comments diya hai Smt Sangeeta Swaroop Ji ne..
    बहुत खूबसूरत ..यूँ ही जलता रहे चाहत का दीप और रोशन रहे ज़िंदगी :)




    Aankhen muskuraati hai in nigaaho ko dekha pata chal.Muskuaan Labon Se Kitni Pyaari hoti Hai jo Khud ba khud har dekhne waale k labon me muskaan ki lehar Sajaa deti hai .Waaah

    जवाब देंहटाएं
  83. वीरूभाई जी,
    जानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरी ग़ज़लें पसन्द आती हैं....

    जवाब देंहटाएं
  84. वीना जी,
    आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  85. रामकृष जी,
    आपने मेरी इस गज़ल को पसन्द किया...हृदय से आभारी हूं.
    आपको अनेक धन्यवाद .

    जवाब देंहटाएं
  86. रचना जी,
    अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।

    जवाब देंहटाएं
  87. कैलाश जी,
    यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपको मेरी यह गज़ल आपको पसन्द आई.
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  88. कोई अपना सा मिल गया होगा ...

    वाह बहुत ही खूबसूरत गज़ल ... सुभान अल्ला इस अदायगी पर ... बारिश में भीगती बूंदों की तरह ...

    जवाब देंहटाएं
  89. बहुत अच्छा गागर में सागर भरा है।

    जवाब देंहटाएं