ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
आदरणीया डॉ वर्षा सिंह जी आपकी पंक्तियाँ सदा सन्देश देती है आज कुछ पीड़ा सी दिखी मेरी चार लाइन आपको समर्पित अचानक अनायास जुड़ जाते हैं हादसे हमसे करें प्रेम कि बारिस बादल आसमां पे छाएंगे रहेगा आँगन ये हरा भरा हर दिन बादल गरजेंगे नहीं बरसना होगा
वाह
' एक बादल न 'वर्षा' का अपना हुआ जिन्दगी आग से जूझती रह गई ' बहुत सुन्दर...!
नित नयी आग से जूझना है हमें..
आज 20/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बहुत सुन्दर...
nice:-)
छोटी सी सुन्दर सी रचना
' एक बादल न 'वर्षा' का अपना हुआजिन्दगी आग से जूझती रह गई 'बहुत सुन्दर रचना...!
सोमवार, 20 अगस्त 2012एक बादल वर्षा का न हुआ ,ज़िन्दगी आग से जूझती रह गई ,बढ़िया प्रस्तुति है ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -ram ram bhaiसर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
आह!
वाह ... कमाल का मुक्तक है .... लाजवाब ....
क्या बात है,वर्षा जी.
आदरणीया डॉ वर्षा सिंह जी आपकी पंक्तियाँ सदा सन्देश देती है आज कुछ पीड़ा सी दिखी मेरी चार लाइन आपको समर्पित
जवाब देंहटाएंअचानक अनायास जुड़ जाते हैं हादसे हमसे
करें प्रेम कि बारिस बादल आसमां पे छाएंगे
रहेगा आँगन ये हरा भरा हर दिन
बादल गरजेंगे नहीं बरसना होगा
वाह
जवाब देंहटाएं' एक बादल न 'वर्षा' का अपना हुआ
जवाब देंहटाएंजिन्दगी आग से जूझती रह गई '
बहुत सुन्दर...!
नित नयी आग से जूझना है हमें..
जवाब देंहटाएंआज 20/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंnice:-)
जवाब देंहटाएंछोटी सी सुन्दर सी रचना
जवाब देंहटाएं' एक बादल न 'वर्षा' का अपना हुआ
जवाब देंहटाएंजिन्दगी आग से जूझती रह गई '
बहुत सुन्दर रचना...!
जवाब देंहटाएंसोमवार, 20 अगस्त 2012एक बादल वर्षा का न हुआ ,ज़िन्दगी आग से जूझती रह गई ,बढ़िया प्रस्तुति है ..... .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
आह!
जवाब देंहटाएंवाह ... कमाल का मुक्तक है .... लाजवाब ....
जवाब देंहटाएंक्या बात है,वर्षा जी.
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