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शनिवार, मार्च 21, 2020

विश्व वानिकी दिवस, 21 मार्च पर विशेष ग़ज़ल .... जंगल - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

विश्व वानिकी दिवस, 21 मार्च पर विशेष ग़ज़ल

      जंगल
               - डॉ. वर्षा सिंह

है दरख़्तों  की शायरी जंगल।
धूप - छाया की डायरी जंगल।

बस्तियों से निकल के तो देखो
ज़िन्दगी की है ताज़गी जंगल।

गूंजती हैं ये वादियां जिससे
पर्वतों  की है बांसुरी  जंगल।

दिल से  पूछो ज़रा  परिंदों के
खुद फ़रिश्ता है, ख़ुद परी जंगल।

नाम  ‘वर्षा’  बदल भी जाए तो
यूं न  बदलेगा ये  कभी जंगल।

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जंगल पर शायरी - डॉ. वर्षा सिंह

प्रिय मित्रों,   
      आज विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 21 मार्च 2020 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=26839

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