प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस के दिन हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और बलिदान का स्मरण करते हैं। भारत के स्वतंत्रता यज्ञ में देश के वीरों ने निरंतर संघर्ष किया और अपने प्राणों की आहुतियां दीं। महात्मा गांधी, भगत सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सुखदेव, गोपाल कृष्ण गोखले, लाला लाजपत राय, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, चंद्र शेखर आजाद के बलिदान के कारण ही आज हम आज़ाद भारत में सांस ले पा रहे हैं।
आज़ादी का स्वप्न साहित्यकारों ने भी देखा था। कथा, लेख, गीत, दोहा, ग़ज़ल आदि के माध्यम से लगातार स्वाधीनता आंदोलन में अपना योगदान दिया था।
प्रिय ब्लॉग पाठकों, आज ग़ज़लयात्रा में मैं यहां स्मरण दिलाना चाहूंगी उन चुनिंदा शेरों, ग़ज़लों की, जिनमें देशभक्ति की भावना के दर्शन होते हैं। देखें शायरी के रंग - आज़ादी से पहले और आज़ादी के बाद ....
उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता
जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आँखें
-अज्ञात
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इस की ये गुलसिताँ हमारा
- अल्लामा इक़बाल
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
- बिस्मिल अज़ीमाबादी
भारत के ऐ सपूतो हिम्मत दिखाए जाओ।
दुनिया के दिल पे अपना सिक्का बिठाए जाओ।
- लाल चन्द फ़लक
शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले,
वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा।
कभी वह दिन भी आएगा जब अपना राज देखेंगे,
जब अपनी ही ज़मीं होगी और अपना आसमाँ होगा।
- जगदंबा प्रसाद मिश्र ‘हितैषी’
न इंतिज़ार करो इनका ऐ अज़ा-दारो,
शहीद जाते हैं जन्नत को घर नहीं आते।
-साबिर ज़फ़र
क्या मोल लग रहा है शहीदों के ख़ून का,
मरते थे जिन पे हम वो सज़ा-याब क्या हुए।
-साहिर लुधियानवी
अजल से वे डरें जीने को जो अच्छा समझते हैं।
मियाँ! हम चार दिन की जिन्दगी को क्या समझते हैं?
- रामप्रसाद बिस्मिल
मौत एक बार जब आना है तो डरना क्या है!
हम इसे खेल ही समझा किये मरना क्या है?
-अशफ़ाकउल्ला खां
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ हैं मेरी कलम,
मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी, इंकलाब लिख जाता हैं !
- भगत सिंह
मर के पाया शहीद का रुत्बा,
मेरी इस ज़िंदगी की उम्र दराज़।
-जोश मलीहाबादी
हम शहीदों को कभी मुर्दा नहीं कहते 'अनीस'
रिज़्क़ जन्नत में मिले शान यहाँ पर बाक़ी।
-अनीस अंसारी
सैंकड़ों परिंदे आसमान पर आज नजर आने लगे,
बलिदानियों ने दिखाई है राह उन्हें आजादी से उड़ने की।
-अज्ञात
मित्रों, भारत को आजाद हुए 73 साल हो गए हैं। एक बार देश के आज़ाद होने के बाद देश की आज़ादी को क़ायम रखने के लिए भी देशभक्ति की भावना को बनाए रखना ज़रूरी होता है। आज़ादी से पूर्व शायरों के क़लाम में आज़ादी की लौ प्रज्वलित रखने के लिए संदेश छिपा होता था। एक-एक अल्फ़ाज़ को चुनकर उन्हें अशआर में पिरोया जाता था। लेकिन जब देश आज़ाद हो गया तो जहां एक ओर विकास और उन्नति की बातें की गईं वहीं दूसरी ओर ग़ज़ल का दायरा देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, अव्यवस्था, ग़रीबी, भुखमरी, शोषण आदि की ओर गया। देशभक्ति की भावना को जगाए रखने के लिए अनेक ग़ज़लें लिखी गईं। आज़ादी के बाद के ग़ज़लकारों के कुछ चुनिंदा शेर यहां प्रस्तुत हैं-
हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के। इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल के।
- प्रदीप
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है,
उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी।
- रघुपति सहाय "फिराक़ गोरखपुरी"
कहीं रेशम कहीं खादी है प्यारे,
इसी का नाम आजादी है प्यारे।
सुबह से शाम पत्थर तोड़ती है,
निराला की ये शहजादी है प्यारे।
-भवानी शंकर
ज़ान दे देंगे हम तिरंगे पर
अब हमें एक बनके रहना है।।
बस मुहब्बत ही हो ज़माने में
नफ़रतें अब जरा न सहना है।
धर्म-जाति के नाम पर 'आकिब'।
इस सियासत से अब न डरना है।।
- आकिब जावेद
आंधियों की ज़िद से लड़कर और गहराई जड़ें
कोई बरगद एक ताकत की तरह मुझ में रहा।
- विनय मिश्र
कहीं कमज़ोर ना कर दें बुलंदी के इरादे,
समुन्दर रोक के रखना ज़रा पलकों में अपनी।
- दिगम्बर नासवा
ख़ामोशी से सहना कब तक !
बेमर्ज़ी चुप रहना कब तक !
बढ़ आगे हक़ अपना पा ले
छुईमुई सा बनना कब तक !
- मीना भारद्वाज
बादलों को जरा सा हटने दो,
सब के आंगन में धूप निकलेगी।
- डॉ. उर्मिलेश
कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो।
लोग कहते थे कि ये बात नहीं कहने की
तुम ने कह दी है तो कहने की सज़ा लो यारो।
- दुष्यंत कुमार
सदा रहे आंखों में अपनी स्वतंत्रता का सपना।
उस सपने के मूर्त्तरूप में रहे तिरंगा अपना।
हो न कोई भी दुखियारा, न कोई मुश्क़िल में
स्वतंत्रता की इस बेला में शुभ, शुभ, शुभ ही जपना।
लिख दो इक इतिहास नया अब,'शरद' सफलता का तुम
अपनी आज़ादी को अपने पैमाने से नपना।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
ये ज़मीं कुछ भी नहीं है,आसमां कुछ भी नहीं,
मंज़िलें हों सामने तो दूरियाँ कुछ भी नहीं।
- माधव कौशिक
ठंड की ठिठुरन , गर्मी की तपन, प्रकृति का ऐसा रुप देखिये,
कैसे होती वतन की हिफ़ाज़त जवानों की आँखों में झाँककर देखिये ।
मुहब्बत का फ़लसफ़ा ,शहीद की तड़पती रुह से पूछिये,
आँखों में गुज़री रात, ज़िंदगी का हसीन मंज़र देखिये।
- अनीता सैनी
हौसले अपने आज़माने को,
हर कदम साथ आँधियाँ रखिए।
- आशा शैली
एकता से बढ़ाओ मिलाकर क़दम,
रास्ते हँसते-हँसते ही कट जायेंगे।
सूर्य की रश्मियों के प्रबल ताप से,
बदलियाँ और बादल भी छँट जायेंगे।
- डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
.... और अंत में मेरी यानी इस ब्लॉग लेखिका की देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण ग़ज़ल "तिरंगा" के चंद शेर अर्ज़ हैं -
शान तिरंगा है, अपनी आन तिरंगा है ।
सारी दुनिया से कह दो सम्मान तिरंगा है।
हम भारत के वासी, हमको निर्भय रहना है
हर इक भारतवासी का अभिमान तिरंगा है।
"वर्षा" हमने जन्मभूमि को मां का मान दिया,
रहे सदा सबसे ऊंचा, अरमान तिरंगा है।
🇮🇳 जय हिन्द 🇮🇳 जय भारत 🇮🇳
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बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी 🙏
हटाएंअद्भुत प्रस्तुति । आपकी ग़ज़लयात्रा में कल और आज के लेखकों के मध्य खुद को देखना सुखद अनुभव है🙏 स्वतन्त्रता दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई.💐🙏
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट आपको अच्छी लगी यह जान कर प्रसन्नता हुई।
हटाएंसुस्वागतम् मीना जी 🙏
स्वतन्त्रता दिवस की आपको भी बहुत- बहुत बधाई 💐❤💐
हम भारत के वासी, हमको निर्भय रहना है
जवाब देंहटाएंहर इक भारतवासी का अभिमान तिरंगा है।
सुंदर सृजन ।
हार्दिक धन्यवाद हर्ष महाजन जी 🙏
हटाएंस्वतन्त्रता दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई 🇮🇳🙏🇮🇳
स्वतंत्रता दिवस पर्व पर बहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंप्रणाम।
हार्दिक धन्यवाद 🙏
हटाएंस्वतन्त्रता दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई.🇮🇳🙏🇮🇳
तहे दिल से आभार आदरणीय दी।
जवाब देंहटाएंअभिभूत हूँ स्नेह आशीर्वाद से।
लाजवाब प्रस्तुति 👌
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई 🌹
हार्दिक स्वागत, अनीता जी 🌟❤🌟
हटाएंआपको भी अनंत शुभकामनाएं 💐🙏💐
गज़ल यात्रा के सफ़र को नमन है ... देश प्रेम की भावना ऐसे ही सब में प्रबल रहे ..
जवाब देंहटाएंलाजवाब शेर देश भक्ति की भावना लिए ...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई ...
हार्दिक धन्यवाद नासवा जी
हटाएंआपको भी अनंत शुभकामनाएं 💐🙏💐
सुन्दर प्र स्तुति
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद 🌟💐🌟
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