बूढ़ी आंखें
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- डॉ. वर्षा सिंह
वक्त का दरपन बूढ़ी आंखें
उम्र की उतरन बूढ़ी आंखें
कौन समझ पाएगा पीड़ा
ओढ़े सिहरन बूढ़ी आंखें
जीवन के सोपान यही हैं
बचपन, यौवन, बूढ़ी आंखें
चप्पा चप्पा बिखरी यादें
बांधी बंधन बूढ़ी आंखें
टूटा चश्मा घिसी कमानी
चाह की खुरचन बूढ़ी आंखें
एक इबारत सुख की ख़ातिर
बांचे कतरन बूढ़ी आंखें
सपनों में देखा करती हैं
"वर्षा"- सावन बूढ़ी आंखें
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जीवन के सोपान यही हैं
जवाब देंहटाएंबचपन, यौवन, बूढ़ी आंखें
जीवन का अमिट सत्य । बहुत सुन्दर सृजन 🌹🙏
हार्दिक धन्यवाद मीना भारद्वाज जी 🙏💐🙏
हटाएंमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है।रचनाएँ पसन्द आएं तो फॉलो करके उत्साह बढ़ाएं।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (18-10-2020) को "शारदेय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा अंक-3858) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
-- शारदेय नवरात्र की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुन्दर
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद 🙏🍁🙏
हटाएंवाह, छोटी बहर की उम्दा गजल।
जवाब देंहटाएंमैं संत श्यामाचरण सिंह (पीलालाल चिनोरिया जी) के बारे में जानकारी हासिल करना चाहता हूँ. क्या आप यह जानकारी उपलब्ध करा सकती हैं ? मेरा मोबाइल व वाट्सएप नंबर 9907174334 है। कृपया इस नंबर पर अपना संपर्क नंबर दीजिएगा, आभारी रहूंगा।
जी, ज़रूर... 🙏
हटाएंआदरणीय निगम जी, प्रयास में हूं कि उनकी पुस्तक मुझे मेरे पुस्तकालय में मिल जाए... मिलते ही सूचित करूंगी ।
हटाएंसादर,
डॉ. वर्षा सिंह
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है।रचनाएँ पसन्द आएं तो फॉलो करके उत्साह बढ़ाएं।
हटाएंहार्दिक धन्यवाद ज्योति जी 🍁🙏🍁
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार
जवाब देंहटाएंhttps://satishrohatgipoetry.blogspot.com/2020/10/blog-post_26.html
हार्दिक धन्यवाद सतीश जी 🙏🍁🙏
हटाएंसतीश जी,
हटाएंमैं already आपके ब्लॉग स्वरांजलि को बहुत पहले से follow कर रही हूं। कृपया followers की सूची पर दृष्टिपात करने का कष्ट करें।
🙏
सादर,
डॉ. वर्षा सिंह