ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
अत्यंत गहराई है आप की रचनाओं में ... 'आँचल को धनि लिख देना' , 'तुम आओ तो होली है'... ' जहाँ औरतें नहीं'....और तो और (वर्षा) मौसम को अपने नाम के साथ जोड़कर हमें भी भिगो दिया अपने... बहुत खूब...
शारदा जी,आपका आना सुखद लगा ...... मैं आपको धन्यवाद भर कहूं तो कम होगा, आपके अपनत्व ने मुझे भावविभोर कर दिया है।कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 03-10 - 2011 को यहाँ भी है ...नयी पुरानी हलचल में ...किस मन से श्रृंगार करूँ मैं
संगीता स्वरुप जी,मेरी इस ग़ज़ल को नयी-पुरानी हलचल में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी बेहद आभारी हूं.बहुत-बहुत धन्यवाद.
यशवन्त माथुर जी,आपको हार्दिक धन्यवाद!
जिंदगी तो एक बेवफा ही हैकब ,किसको,कहाँ नहीं छलती.खारे पानी में मत पकाया करोदाल इसमें कभी नहीं गलती.आपकी गज़ल बेमिसाल है.
अत्यंत गहराई है आप की रचनाओं में ... 'आँचल को धनि लिख
जवाब देंहटाएंदेना' , 'तुम आओ तो होली है'... ' जहाँ औरतें नहीं'....और
तो और (वर्षा) मौसम को अपने नाम के साथ जोड़कर हमें भी भिगो
दिया अपने... बहुत खूब...
शारदा जी,
जवाब देंहटाएंआपका आना सुखद लगा ......
मैं आपको धन्यवाद भर कहूं तो कम होगा, आपके अपनत्व ने मुझे भावविभोर कर दिया है।
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 03-10 - 2011 को यहाँ भी है
जवाब देंहटाएं...नयी पुरानी हलचल में ...किस मन से श्रृंगार करूँ मैं
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंमेरी इस ग़ज़ल को नयी-पुरानी हलचल में शामिल करके आपने जो सम्मान दिया है और उत्साहवर्द्धन किया है, उस के लिए मैं आपकी बेहद आभारी हूं.बहुत-बहुत धन्यवाद.
यशवन्त माथुर जी,
जवाब देंहटाएंआपको हार्दिक धन्यवाद!
जिंदगी तो एक बेवफा ही है
जवाब देंहटाएंकब ,किसको,कहाँ नहीं छलती.
खारे पानी में मत पकाया करो
दाल इसमें कभी नहीं गलती.
आपकी गज़ल बेमिसाल है.