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बुधवार, सितंबर 22, 2010

यादों से भी गहरा चांद

5 टिप्‍पणियां:

  1. वर्षा जी,एक खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बहुत-बहुत बधाई......."ओमप्रकाश यती"

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  2. मिले मित्र तो हंसता चांद।
    वरना तनहा-तनहा चांद।
    हार्दिक धन्यवाद ओमप्रकाश यती जी!

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  3. ओमप्रकाश यती जी, आप अपने ब्लाग का टिप्पणी-द्वार सभी के लिए खोलें।

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  4. मिले मित्र तो हंसता चांद।
    वरना तनहा-तनहा चांद।
    vAh..

    Maja a gaya...

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  5. सुशांत जैन जी, हार्दिक धन्यवाद !

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