ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
fir se badhai...............
फिर से धन्यवाद!
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति, वर्षा जी को बधाई।
संजय दानी जी, हार्दिक धन्यवाद!
sunder rachna..
चलो हम तो आ ही गए। सुंदर रचना।
kya kahun kya tha hawaon ka rukhpattiyon sa bikhar ke dekha hai....bahut sunder sher hai
makte k kathya tak nahi pahuch paya...Plz. muje samjaiye...
fir se badhai...............
जवाब देंहटाएंफिर से धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति, वर्षा जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंसंजय दानी जी, हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंsunder rachna..
जवाब देंहटाएंचलो हम तो आ ही गए। सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंkya kahun kya tha hawaon ka rukh
जवाब देंहटाएंpattiyon sa bikhar ke dekha hai....bahut sunder sher hai
makte k kathya tak nahi pahuch paya...
जवाब देंहटाएंPlz. muje samjaiye...