ग़ज़लयात्रा GHAZALYATRA
ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
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रविवार, अक्टूबर 16, 2011
मैं और मेरी ग़ज़लें ......
डॉ. हरीसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर, मध्यप्रदेश के हिन्दी भाषा विभाग में दिनांक 10.10.2011 को ‘समकालीन हिन्दी ग़ज़लः समय और संभावनाएं’ विषय पर आयोजित परिचर्चा और ग़ज़लपाठ के अवसर पर अपनी ग़ज़लों का पाठ करती मैं स्वयं.....
शनिवार, अक्टूबर 01, 2011
दिल ने दिल से कह दी बात ....
शनिवार, सितंबर 10, 2011
जब से तुमको पाया मैंने .....
रविवार, अगस्त 14, 2011
शायद उसकी मजबूरी है ......
रविवार, जुलाई 31, 2011
कोई अपना-सा मिल गया होगा ...
मंगलवार, जुलाई 12, 2011
मेंहदी रची हथेली में ......
सोमवार, जून 27, 2011
प्यार की गुज़ारिशें .....
मंगलवार, जून 07, 2011
आंचल को धानी लिख देना......
शुक्रवार, मई 20, 2011
आंखें मेरी सपने उनके
शुक्रवार, अप्रैल 15, 2011
उसने मुझसे कहा....
शुक्रवार, अप्रैल 01, 2011
लम्हा-लम्हा तनहाई.....
शुक्रवार, मार्च 18, 2011
तुम आओ तो होली है......
सोमवार, मार्च 07, 2011
महिला दिवस पर एक ग़ज़ल
जहां औरतें नहीं.....
रविवार, फ़रवरी 27, 2011
तुमने छू जो लिया
बुधवार, फ़रवरी 16, 2011
कल शाम कहा उसने
सोमवार, फ़रवरी 07, 2011
वासंती दोपहरी, वासंती शाम
सोमवार, जनवरी 31, 2011
ज़िन्दगी का सही पता औरत
रविवार, जनवरी 23, 2011
देव भूमि-सा है देश
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