Dr. Varsha Singh |
बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद
कोई साज़िश छुपा रहा है चाँद
कोई साज़िश छुपा रहा है चाँद
छू के देखा तो गर्म था माथा
धूप में खेलता रहा है चाँद
धूप में खेलता रहा है चाँद
सूखी जामुन के पेड़ के रस्ते
छत ही छत पर जा रहा है चाँद
- गुलज़ार
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
अक्स किस का है कि इतनी रौशनी पानी में है
- फ़रहत एहसास
हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
सब बदल जाएगा क़िस्मत का लिखा जाम उठा
- बशीर बद्र
ये तो देखने पर है ये तो सोचने पर है
चाँद आरज़ू भी है चांदनी कफ़न भी है
चाँद आरज़ू भी है चांदनी कफ़न भी है
- राही मासूम रज़ा
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
ये कसक दिल की दिल में चुभी रह गयी
ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गयी
एक मैं, एक तुम, एक दीवार थी
ज़िन्दगी आधी आधी बंटी रह गयी
मैंने रोका नहीं वो चला भी गया
बेबसी दूर तक देखती रह गयी
मेरे घर की तरफ धूप की पीठ थी
आते आते इधर चांदनी रह गयी
-बशीर बद्र
ज़िन्दगी में तुम्हारी कमी रह गयी
एक मैं, एक तुम, एक दीवार थी
ज़िन्दगी आधी आधी बंटी रह गयी
मैंने रोका नहीं वो चला भी गया
बेबसी दूर तक देखती रह गयी
मेरे घर की तरफ धूप की पीठ थी
आते आते इधर चांदनी रह गयी
-बशीर बद्र
दिल में ऐसे उतर गया कोई
जैसे अपने ही घर गया कोई
इतने खाए थे रात से धोखे
चाँद निकला कि डर गया कोई
इश़्क भी क्या अजीब दरिया है
मैं जो डूबा, उभर गया कोई
जैसे अपने ही घर गया कोई
इतने खाए थे रात से धोखे
चाँद निकला कि डर गया कोई
इश़्क भी क्या अजीब दरिया है
मैं जो डूबा, उभर गया कोई
- सूर्यभानु गुप्त
कल चौदवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा
- इब्ने इंशा
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा
- इब्ने इंशा
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
चांदनी छत पे चल रही होगी
अब अकेली टहल रही होगी
अब अकेली टहल रही होगी
– दुष्यंत कुमार
मन में सपने अगर नहीं होते,
हम कभी चाँद पर नहीं होते।
सिर्फ जंगल में ढूँढ़ते क्यों हो?
भेड़िए अब किधर नहीं होते।
जिनके ऊँचे मकान होते हैं,
दर-असल उनके घर नहीं होते।
प्यार का व्याकरण लिखें कैसे,
भाव होते हैं स्वर नहीं होते।
हम कभी चाँद पर नहीं होते।
सिर्फ जंगल में ढूँढ़ते क्यों हो?
भेड़िए अब किधर नहीं होते।
जिनके ऊँचे मकान होते हैं,
दर-असल उनके घर नहीं होते।
प्यार का व्याकरण लिखें कैसे,
भाव होते हैं स्वर नहीं होते।
- उदयभानु 'हंस'
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला
- निदा फ़ाज़ली
तुम भी लिखना तुम ने उस शब कितनी बार पिया पानी
तुम ने भी तो छज्जे ऊपर देखा होगा पूरा चाँद
- निदा फ़ाज़ली
तुम ने भी तो छज्जे ऊपर देखा होगा पूरा चाँद
- निदा फ़ाज़ली
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
जिंदगी की हर मंजिल मुकद्दर की कैद में
आज भी है मेरा साहिल समंदर की कैद में
आज भी है मेरा साहिल समंदर की कैद में
रोते हुए बादल को है सदियों से ये खबर
जलती हुई चांदनी है एक पत्थर की कैद मेंं
- राजीव सिंह
रात हुई है चाँद जमीं पर हौले-हौले उतरा है,
तुम भी आ जाते तो सारा नूर मुकम्मल हो जाता
तुम भी आ जाते तो सारा नूर मुकम्मल हो जाता
- कुमार विश्वास
उसी तरह से हर इक ज़ख़्म खुशनुमा देखे
वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे
गुज़र गए हैं बहुत दिन रिफ़ाक़ते-शब में
इक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे
- परवीन शाकिर
वो आये तो मुझे अब भी हरा-भरा देखे
गुज़र गए हैं बहुत दिन रिफ़ाक़ते-शब में
इक उम्र हो गई चेहरा वो चाँद-सा देखे
- परवीन शाकिर
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
रात को रोज़ डूब जाता है
चाँद को तैरना सिखाना है
- बेदिल हैदरी
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
तो इंतज़ार में बैठा हुआ हूँ शाम से मैं
- फ़रहत एहसास
माथे पे तेरे चमके है झूमर का पड़ा चाँद
ला बोसा चढ़े चाँद का वादा था चढ़ा चाँद
- ज़ौक
रात के नाम एक ख़त लिखना
चांद है फिर उदास मत लिखना
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
चांद है फिर उदास मत लिखना
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
नींद आए तो ख़्वाब आएंगे
होंठ कुछ लम्हा मुस्कुराएंगे
चांद का नूर याद कर कर के
रात की आयतें सुनाएंगे
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
होंठ कुछ लम्हा मुस्कुराएंगे
चांद का नूर याद कर कर के
रात की आयतें सुनाएंगे
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
बेचैनी की गठरी में बंध, रातें लगतीं बुझी-बुझी सी
आसमान पर चांद अकेला देर रात मुझ पर रोता है
अपनी तनहाई के ख़त को रोज खोलना, रोज बांचना
हर कोई अपने *माज़ी को आखिर क्यों इतना ढोता है ?
(*माज़ी=अतीत)
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
आसमान पर चांद अकेला देर रात मुझ पर रोता है
अपनी तनहाई के ख़त को रोज खोलना, रोज बांचना
हर कोई अपने *माज़ी को आखिर क्यों इतना ढोता है ?
(*माज़ी=अतीत)
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
- मीना कुमारी
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
चाँद तारों की गुफ्तगू सुनता रहा रात भर
जलन से बादल रंग बदलता रहा रात भर
मखमल के बिस्तर से सड़क के फुटपाथ तक
ख़ाबों का सौदा होता रहा रात भर
- पंकज शादाब
जलन से बादल रंग बदलता रहा रात भर
मखमल के बिस्तर से सड़क के फुटपाथ तक
ख़ाबों का सौदा होता रहा रात भर
- पंकज शादाब
आलम ही ऐसा बना कि बर्बाद हो गये ,
बर्बादी ने लगायें चार चाँद , मशहूर हो गये।
- अनिता सैनी
बर्बादी ने लगायें चार चाँद , मशहूर हो गये।
- अनिता सैनी
उमर की पटरियों पर जिंदगी की रेल है
ये मरना और जीना तो समय का खेल है
तिरा मासूम चेहरा जुल्फ काली और घनी
के जैसे चांद का संग बादलों के खेल है
- दिगम्बर नासवा
ये मरना और जीना तो समय का खेल है
तिरा मासूम चेहरा जुल्फ काली और घनी
के जैसे चांद का संग बादलों के खेल है
- दिगम्बर नासवा
जख्म पर मरहम लगाने क्यों नहीं आते
गीत कोई गुनगुनाने क्यों नहीं आते
आसमां से चांद तारे छीन लाऊंगा
हौसला मेरा बढ़ाने क्यों नहीं आते
गीत कोई गुनगुनाने क्यों नहीं आते
आसमां से चांद तारे छीन लाऊंगा
हौसला मेरा बढ़ाने क्यों नहीं आते
बंद है मुट्ठी में मेरी सावनी बादल
है जो हिम्मत घर जलाने क्यों नहीं आते
रात भीगी सी है और महका हुआ दिन है
ख्वाब आंखों में सजाने क्यों नहीं आते
- दिगम्बर नासवा
है जो हिम्मत घर जलाने क्यों नहीं आते
रात भीगी सी है और महका हुआ दिन है
ख्वाब आंखों में सजाने क्यों नहीं आते
- दिगम्बर नासवा
तीरगी चाँद को ईनाम-ए-वफ़ा देती है,
रात-भर डूबते सूरज को सदा देती है
रात-भर डूबते सूरज को सदा देती है
- शमीम हनफ़ी
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से
-निदा फ़ाजली
कभी घर में सूरज उगा देर से
-निदा फ़ाजली
मैंने देखा, मैं जिधर चला,
मेरे सँग सँग चल दिया चाँद
मेरे सँग सँग चल दिया चाँद
पीले गुलाब-सा लगता था
हल्के रंग का हल्दिया चाँद
हल्के रंग का हल्दिया चाँद
- पण्डित नरेन्द्र शर्मा
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
गज़ल को ले चलो अब गांव के दिलकश नज़ारों में।
मुसलसल फ़न का दम घुटता है इऩ अदबी इदारों में।
अदीबो, ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ
मुल्लमे के सिवा क्या है फ़लक के चांद-तारों में
- अदम गोंडवी
चाँद है ज़ेरे-क़दम. सूरज खिलौना हो गया
हाँ, मगर इस दौर में क़िरदार बौना हो गया
शहर के दंगों में जब भी मुफलिसों के घर जले
कोठियों की लॉन का मंज़र सलोना हो गया
- अदम गोंडवी
- अदम गोंडवी
....... और अंत में मेरी यानी डॉ. वर्षा सिंह की शायरी में शामिल चांद और चांदनी 😊❤😊
तुम रात के सिरहाने इक चांद तो रख जाते
नींदों में उदासी के सपने तो नहीं आते
- डॉ वर्षा सिंह
रात के माथे टीका चांद
खीर सरीखा मीठा चांद
हंसी चांदनी धरती पर
आसमान में चहका चांद
महकी बगिया यादों की
लगता महका महका चांद
उजली चिट्ठी चांदी- सी
नाम प्यार के लिखता चांद
"वर्षा" मांगे दुआ यही
मिले सभी को अपना चांद
- डॉ. वर्षा सिंह
नींदों में उदासी के सपने तो नहीं आते
- डॉ वर्षा सिंह
रात के माथे टीका चांद
खीर सरीखा मीठा चांद
हंसी चांदनी धरती पर
आसमान में चहका चांद
महकी बगिया यादों की
लगता महका महका चांद
उजली चिट्ठी चांदी- सी
नाम प्यार के लिखता चांद
"वर्षा" मांगे दुआ यही
मिले सभी को अपना चांद
- डॉ. वर्षा सिंह
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
बज रही बांसुरी
सज रही ज़िन्दगी
चांद की आहटें
सुन रही चांदनी
मन में कान्हा बसे
रोशनी - रोशनी
इश्क़ गढ़ने लगा
हर तरफ आशिक़ी
नेह - "वर्षा" हुई
भीगती शायरी
- डॉ वर्षा सिंह
धरती पर पानी लिख देना
आंचल को धानी लिख देना
चाहत पर बंधन का पहरा
कुछ तो मनमानी लिख देना
बेशक लिखना अमर प्यार को
दुनिया को फानी लिख देना
इंतज़ार में चांद - रात के
दिन की कुर्बानी लिख देना
मौसम को यदि राजा लिखना
"वर्षा" को रानी लिख देना
❤ डॉ. वर्षा सिंह
आंचल को धानी लिख देना
चाहत पर बंधन का पहरा
कुछ तो मनमानी लिख देना
बेशक लिखना अमर प्यार को
दुनिया को फानी लिख देना
इंतज़ार में चांद - रात के
दिन की कुर्बानी लिख देना
मौसम को यदि राजा लिखना
"वर्षा" को रानी लिख देना
❤ डॉ. वर्षा सिंह
Painting by Dr. (Miss) Sharad Singh |
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंएक और नायब पोस्ट ... चाँद, चन्दनी जो शायरों को सबसे ज्यादा पसंद है और जिसपे हर शायर ने इतना खूबसूरती से लिखा है की शायद हज़ारों लाखों अंदाज़ में चाँद को लिखा गया है ....
इतने शायरों के कलाम एक ही पोस्ट में और एक विषय पे लिखना बहुत महनत का काम है ... नमन है आपके कार्य को ...
आभार मेरे शेरों को भी यहाँ शामिल करने के लिए ...
बहुत बहुत आभार आपका नासवा जी,
हटाएंआपने प्रशंसा की तो मेरा श्रम सार्थक हो गया।
पुनः हार्दिक आभार
🙏🌹🙏
बहुत ही सुन्दर गुलदस्ता संजोया है सखी पढ़कर बहुत खुशी हुई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचनाओं के बीच अपनी रचना देख ख़ुशी हुई,
आप से मिल कर बहुत अच्छा लगा
सादर