अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मेरी ताज़ा ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 06 मार्च 2020 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=25898
औरतें
- डॉ. वर्षा सिंह
सागर की लहर, झील का पानी हैं औरतें।
बहती हुई नदी की रवानी हैं औरतें।
दुनिया की हर मिसाल में शामिल हैं आज ये
‘लैला’ की, ‘हीर’ की जो कहानी हैं औरतें।
इनका लिखित स्वरूप महाकाव्य की तरह
वेदों की ऋचाओं-सी ज़ुबानी हैं औरतें।
मिलती हैं जब कभी ये सहेली के रूप में
यादों की वादियों-सी सुहानी हैं औरतें।
‘मीरा’ बनी कभी, तो ‘कमाली’ बनी कभी
‘वर्षा’ कहा सभी ने - ‘सयानी हैं औरतें’।
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#ग़ज़लवर्षा
बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंबहुत आभार 🙏
हटाएंबहुत अच्छी ग़ज़ल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंहोलीकोत्सव के साथ
अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की भी बधाई हो।
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏😊
हटाएंबहुत अच्छा सृजन
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नारीत्व की महिमा के संदर्भ में कहा गया है कि नारी प्रेम ,सेवा एवं उत्सर्ग भाव द्वारा पुरुष पर शासन करने में समर्थ है। वह एक कुशल वास्तुकार है, जो मानव में कर्तव्य के बीज अंकुरित कर देती है। यह नारी ही है जिसमें पत्नीत्व, मातृत्व ,गृहिणीतत्व और भी अनेक गुण विद्यमान हैं। इन्हीं सब अनगिनत पदार्थों के मिश्रण ने उसे इतना सुंदर रूप प्रदान कर देवी का पद दिया है। हाँ ,और वह अन्याय के विरुद्ध पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष से भी पीछे नहीं हटती है। अतः वह क्रांति की ज्वाला भी है।नारी वह शक्ति है जिसमें आत्मसात करने से पुरुष की रिक्तता समाप्त हो जाती है।
सृष्टि की उत्पादिनी की शक्ति को मेरा नमन।
आपकी इस टिप्पणी हेतु अत्यंत आभार 🙏
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