दीप का त्यौहार है दीपावली
- डॉ. वर्षा सिंह
दीप का त्यौहार है दीपावली
शीत का श्रृंगार है दीपावली
रह न पाए मैल मन में रंच भर
ज्योति की जलधार है दीपावली
मावसी पीड़ा मिटाने आ गई
हर्ष की झंकार है दीपावली
रह न जाए स्वप्न कोई भी अधूरा
कुमकुमी उपहार है दीपावली
दूर हमसे हो बुराई की डगर
शुभ-पलों का द्वार है दीपावली
आपसी मतभेद सारे भूलिए
प्रीत की मनुहार है दीपावली
हो रही आलोक "वर्षा" हर तरफ़
तिमिर का प्रतिकार है दीपावली
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#दीपावली #ग़ज़ल #ज्योति
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंरूप-चतुर्दशी और धन्वन्तरि जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१४-११-२०२०) को 'दीपों का त्यौहार'(चर्चा अंक- ३८८५) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
दीपोत्सव की दिव्यता से मुखरित कविता मुग्ध करती है - -दीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की मंगलकामनाएं। सुन्दर सृजन।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना वर्षा जी । दीपोत्सव की शुभकामनाएं आपको ।
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