Pages

रविवार, फ़रवरी 07, 2021

उदास है | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह | संग्रह - सच तो ये है

Dr. Varsha Singh

उदास है


     -डॉ. वर्षा सिंह


दर्पण उदास है या चेहरा उदास है 

आख़िर कोई बताए, क्या-क्या उदास है 


खाली पड़ा हुआ है मन का मकान भी 

साँकल लगी है चुप की, ताला उदास है 


रिश्तों की मेज़ भी है अब धूल से अटी

यादों की डायरी का पन्ना उदास है 


खोई कहीं तपिश है, खोई मिठास है 

चाय के बिन अधूरा प्याला उदास है 


मशहूर जो हुआ वो पूरा उदास निकला 

गुमनाम रह गया जो आधा उदास है 


फूलों से लद गई है हर शाख इन दिनों

कोई तो पूछता क्यों पत्ता उदास है


इक उम्र से रखा था जिसको सम्हाल कर

पूरा न हो सका वो सपना उदास है


रूठी हुई हैं बूंदें, बादल भी बेवज़ह

ज़िद पर अड़ा है मौसम, "वर्षा" उदास है 


------------


(मेरे ग़ज़ल संग्रह "सच तो ये है" से)


16 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 08 फरवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. मेरी ग़ज़ल को पांच लिंकों में शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी 🙏

      हटाएं
  2. रूठी हुई हैं बूंदें, बादल भी बेवज़ह

    ज़िद पर अड़ा है मौसम, "वर्षा" उदास है - - बहुत सुन्दर कृति।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय सान्याल जी,
      मुझे प्रसन्नता है कि आपको मेरी यह ग़ज़ल पसन्द आई। बहुत शुक्रिया 🙏
      सादर,
      डॉ. वर्षा सिंह

      हटाएं
  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 08 फ़रवरी 2021 को 'पश्चिम के दिन-वार' (चर्चा अंक- 3971) पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏

      हटाएं
  4. इक उम्र से रखा था जिसको सम्हाल कर
    पूरा न हो सका वो सपना उदास है
    बहुत खूबसूरत अशआरों से सजी गहन अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  5. किस-किस शेर की तारीफ़ में क्या-क्या कहूं वर्षा जी ? इस ग़ज़ल का तो एक-एक शेर नगीना है ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ....और आदरणीय माथुर जी , आपके इस उद्गार ने मुझे निःशब्द पर दिया है। मैं समझ नहीं पा रही हूं कि किन शब्दों से मैं आपको धन्यवाद दूं!
      मेरी ग़ज़ल को सार्थकता प्रदान की है आपने यह कह कर कि 'इस ग़ज़ल का तो एक-एक शेर नगीना है'।
      नतमस्तक हूं मैं आपके इस औदार्य पर 🙏

      हटाएं
  6. जब मन उल्लसित ना हो तो निगाहों में भी उदासी घिर आती है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत धन्यवाद गगन शर्मा जी! आपकी टिप्पणी सदैव मेरा उत्साहवर्धन करती है। 🙏

      हटाएं
  7. बहुत ही सुंदर सृजन दी 👌
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्रिय अनीता जी, तहेदिल से शुक्रिया 🙏

      हटाएं