लाजवाब ग़ज़ल. और मक्ता, मौसम को यदि राजा लिखना, वर्षा को रानी लिख देना। अहा, कमाल कर दिया आपने,वर्षा जी. आजकल एक वर्ड चल गया है न.वो क्या है,जब मन ख़ुश होता है तो कहते हैं... अरे हाँ..वो लवली सवली. बस मक्ता ....लवली सवली really beautiful.
चाहत पर बंधन का पहरा , कुछ तो मनमानी लिख देना , मौसम को यदि राजा लिखना , वर्षा को रानी लिख देना । इंतज़ार के बाद बेहद अच्छी भाव संसिक्त ,रागात्मक कविता .आभार .
वरखा रानी के आगमन के पूर्व की प्रार्थना -जीवन की दो मूल भूत आवश्यकता घान और पानी की पूर्ति । चाहत पर खूव प्रतिवंध लगा दिये थे किन्तु इस मौसम में तो मनमानी की अपील है। संसार नश्वर है किन्तु प्रेम अमर है अमर न होता तो आज न मीरा होती न राधा। एक पक्षी भी है जो मात्र चांद दर्शन की प्रत्याशा में दिन का बलिदान करता है।
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरानी या नयी ) प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011 को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
संगीता स्वरुप जी, इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं. यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपने मेरी ग़ज़ल का चयन साप्ताहिक काव्य मंच- ५० हेतु किया है . आपको बहुत बहुत धन्यवाद ! एवं पुनः हार्दिक आभार !
वर्षा जी आप मेरे ब्लॉग पर आईँ और मेरी ग़ज़ल पर सुखद प्रतिक्रिया कीं साथ ही अपने प्यारे से ब्लॉग पर बुलाया बहुत-बहुत धन्यवाद। 'आँचल को धानी कर देना' 'वर्षा को रानी कर देना' बहुत प्यारी ग़ज़ल, किन शब्दों में तारीफ़ करूँ बस यूँ समझेँ कि ऐसा बेबाक़ और निश्छल आग्रह शायद अन्यत्र हो। पुन: आभार -ग़ाफ़िल
चन्द्रभूषन मिश्रा 'ग़ाफ़िल ' जी, आप जैसे वरिष्ठ शायर के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी इस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूं. पुनः इस हेतु आपको अनेक धन्यवाद एवं कोटिशः मंगलकामनाएं!
चाहत पर बंधन का पहरा ,कुछ तो मनमानी लिख देना और ये कहना .... मौसम को यदि राजा लिखना ,वर्षा को रानी लिख देना ....बहुत खूबसूरत ,आप इतना दिल के करीब लिखती है के वाह वाही के लिए शब्द भी बौने हो जाते है .....बधाई
तुम मेरे हँसते चेहरे को , चाहे नूरानी लिख देना किन्तु बात आँखों की आये,केवल वीरानी लिख देना. हाथ खुले थे ,रोक न पाया,मन को मैंने बहुत मनाया इतना बाँटा प्यार ,ह्रदय के खाते में हानि लिख देना.
loved it !!
जवाब देंहटाएंati sunder.............
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना ...सुंदर अहसास लिए
जवाब देंहटाएंचाहत पर बंधन का पहरा
जवाब देंहटाएंकुछ तो मनमानी लिख देना ... बहुत सुन्दर ...भीगे भीगे से एहसास
मनभावन!
जवाब देंहटाएंमौसम को राजा और "वर्षा" को रानी , बेशक लिखा जायेगा , वाह....उम्दा शेर कहे है आपने बधाई
जवाब देंहटाएंछोटी-छोटी बंदिशों में भावों की गहराई समेत कर बड़ी ही खुबसूरत गजल और गीत लिखती हैं आप.आपकी शैली काबिलेतारीफ है.
जवाब देंहटाएंbeautful very nice :)
जवाब देंहटाएंmosam ko gar raja likhna
varsha ko rani likh dena
very nice :)
मौसम को यदि राजा लिखना,
जवाब देंहटाएंवर्षा को रानी लिख देना।
बेहतरीन गज़ल हर मिसरा ख़ूबसूरत है।
Beautiful expression !
जवाब देंहटाएंलाजवाब ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंऔर मक्ता,
मौसम को यदि राजा लिखना,
वर्षा को रानी लिख देना।
अहा, कमाल कर दिया आपने,वर्षा जी.
आजकल एक वर्ड चल गया है न.वो क्या है,जब मन ख़ुश होता है तो कहते हैं... अरे हाँ..वो लवली सवली.
बस मक्ता ....लवली सवली
really beautiful.
सरल,सहज और एहसास से भरपूर ...पढ़ कर सकूं मिलता है !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
इस खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आभार . कृपया मेरे ब्लॉग पर आएं और देखें आपके स्वागत में खड़े हैं-
जवाब देंहटाएं'किस दुनिया के जन्तु ?'
चाहत पर बंधन का पहरा ,
जवाब देंहटाएंकुछ तो मनमानी लिख देना ,
मौसम को यदि राजा लिखना ,
वर्षा को रानी लिख देना ।
इंतज़ार के बाद बेहद अच्छी भाव संसिक्त ,रागात्मक कविता .आभार .
waah! bhut khub... apka bhi andaz khubsurat hai koi rachna jaani pahchani likh dena...
जवाब देंहटाएंगज़ब गज़ब...मोसम, वर्षा...राजा रानी.....जबरदस्त!!!
जवाब देंहटाएंमौसम को यदि राजा लिखना ,
वर्षा को रानी लिख देना ।
bahut sunder gazal varsha to shbdon ki rani hai hi
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
respected Varsha ji,prathm baar aapke blog par aaye hain.....bahut prabhavit hue hain...aapka blog to bahut sundar hai hi...gazal bahut manbhavan lagi...abhi aur padhenge..aur batate rahenge..
जवाब देंहटाएंregards
मौसम को यदि राजा लिखना ,
जवाब देंहटाएंवर्षा को रानी लिख देना ।
bahut pyari rachna
वरखा रानी के आगमन के पूर्व की प्रार्थना -जीवन की दो मूल भूत आवश्यकता घान और पानी की पूर्ति । चाहत पर खूव प्रतिवंध लगा दिये थे किन्तु इस मौसम में तो मनमानी की अपील है। संसार नश्वर है किन्तु प्रेम अमर है अमर न होता तो आज न मीरा होती न राधा। एक पक्षी भी है जो मात्र चांद दर्शन की प्रत्याशा में दिन का बलिदान करता है।
जवाब देंहटाएंवैसे तो आप की गज़लगोई का मैं सदा से कायल हूं मगर इस गज़ल में
जवाब देंहटाएंतख्ललुस का अज़ब प्रयोग गज़ब ला गया मक्ते में बधाई
✿ ज्योति मिश्रा जी,
जवाब देंहटाएं✿ रोशी जी,
✿ विवेक जैन जी,
✿ डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
✿ संगीता स्वरुप जी,
आपका स्नेह मेरी गज़ल को मिला.....यह मेरा सौभाग्य है.
आत्मीय टिप्पणी के लिए अत्यंत आभार....
✿ अनुराग शर्मा जी,
जवाब देंहटाएं✿ कुश्वंश जी,
✿ सपना निगम जी,
✿ मीनाक्षी पंत जी,
✿ संजय दानी जी,
अपने विचारों से अवगत कराने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
कृपया इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
✿ डॉ॰ दिव्या श्रीवास्तव जी,
जवाब देंहटाएं✿ कुंवर कुसुमेश जी,
✿ अशोक सलूजा जी,
✿ वीना जी,
✿ स्वराज्य करुन जी,
आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
✿ वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएं✿ सुषमा जी,
✿ समीरलाल जी,
✿ रचना जी,
✿ दिलबाग विर्क जी,
आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।
आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
✿ अभिन्न जी,
जवाब देंहटाएं✿ ज्योति सिंह जी,
✿ ब्रजमोहन श्रीवास्तव जी,
✿ श्याम सखा 'श्याम' जी,
आपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
कृपया इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें।
Bahut bdhiya Gazal........Badhaai!
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति्…..….
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ग़ज़ल के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल ... सभी शेर लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी (कोई पुरानी या नयी ) प्रस्तुति मंगलवार 14 - 06 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच- ५० ..चर्चामंच
Virendra ji,
जवाब देंहटाएंMaheshwari kaneri ji,
Thank you for visiting my blog!
It's pleasure to me . I feel honored by your comment.
रजनी मल्होत्रा नैय्यर जी,
जवाब देंहटाएंदिगम्बर नासवा जी,
मेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपके इस अनुग्रह के लिए आपको बहुत-बहुत आभार......
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंइस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं.
यह जानकर सुखद अनुभूति हुई कि आपने मेरी ग़ज़ल का चयन साप्ताहिक काव्य मंच- ५० हेतु किया है . आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
एवं पुनः हार्दिक आभार !
बहुत बढ़िया रचना!!!
जवाब देंहटाएंवर्षा जी आप मेरे ब्लॉग पर आईँ और मेरी ग़ज़ल पर सुखद प्रतिक्रिया कीं साथ ही अपने प्यारे से ब्लॉग पर बुलाया बहुत-बहुत धन्यवाद। 'आँचल को धानी कर देना' 'वर्षा को रानी कर देना' बहुत प्यारी ग़ज़ल, किन शब्दों में तारीफ़ करूँ बस यूँ समझेँ कि ऐसा बेबाक़ और निश्छल आग्रह शायद अन्यत्र हो। पुन: आभार
जवाब देंहटाएं-ग़ाफ़िल
सुनील कुमार जी,
जवाब देंहटाएंअपने विचारों से अवगत कराने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
कृपया इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
चन्द्रभूषन मिश्रा 'ग़ाफ़िल ' जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे वरिष्ठ शायर के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपकी इस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूं.
पुनः इस हेतु आपको अनेक धन्यवाद एवं कोटिशः मंगलकामनाएं!
बहुत सुन्दर गजल ... और चित्र और रंग संयोजन भी कमाल का...
जवाब देंहटाएंवर्षा जी! इसमें धन्यवाद की क्या जरूरत यह तो मेरे लिए एक सुखद अनुभूति थी आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करिए ना! शायद आप निराश नहीं होंगी
जवाब देंहटाएंडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति जी,
जवाब देंहटाएंअपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
चन्द्रभूषन मिश्रा 'ग़ाफ़िल ' जी,
जवाब देंहटाएंजरूर....आपका अनुरोध सिर-माथे पर....पुन: आभार.
बर्षा को रानी लिख देना - वह क्या बात है? सुन्दर प्रयोग.बहुत खुबसूरत ग़ज़ल बर्षा जी.
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
श्यामल सुमन जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर एक नयी ताज़गी लिये हुए और बहुत उम्दा..आभार
जवाब देंहटाएंचाहत पर बंधन का पहरा ,कुछ तो मनमानी लिख देना
जवाब देंहटाएंऔर ये कहना ....
मौसम को यदि राजा लिखना ,वर्षा को रानी लिख देना ....बहुत खूबसूरत ,आप इतना दिल के करीब लिखती है के वाह वाही के लिए शब्द भी बौने हो जाते है .....बधाई
कैलाश जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपके इस अनुग्रह के लिए आपको बहुत-बहुत आभार......
अंजू जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूं.
कृपया इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
मौसम को राजा और पानी को रानी कहने की आपकी अदा बहुत पसंद आई....
जवाब देंहटाएंनेहा त्रिवेदी जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया.हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...
कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
mausam raja, warsha to raani hoti hi hai....
जवाब देंहटाएंaapki pichli charon gazlen padhee...mazaa aa gaya..
apko follow karne se khud ko nahi rok paya....
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमौसम को यदि राजा लिखना ,
जवाब देंहटाएंवर्षा को रानी लिख देना ।
वाह बहुत सुन्दर गज़ल। बधाई।
तुम मेरे हँसते चेहरे को , चाहे नूरानी लिख देना
जवाब देंहटाएंकिन्तु बात आँखों की आये,केवल वीरानी लिख देना.
हाथ खुले थे ,रोक न पाया,मन को मैंने बहुत मनाया
इतना बाँटा प्यार ,ह्रदय के खाते में हानि लिख देना.
मौसम को यदि राजा लिखना
जवाब देंहटाएंवर्षा को रानी लिख देना !
वर्षा जी,वैसे तो ग़ज़ल का हर शेरखूबसूरत है मगर इस शेर के लिए आपकी लेखनी को नमन करता हूँ !
देवेन्द्र शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंअपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
उर्मि जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गज़ल पर प्रतिक्रिया देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
आपके इस अनुग्रह के लिए आपको बहुत-बहुत आभार......
निर्मला कपिला जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसी वरिष्ठ शायरा के विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
अरुण कुमार निगम जी,
जवाब देंहटाएंकाव्यात्मक पंक्तियों के माध्यम से मेरी गजल को सराहने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूं.
कृपया इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।
टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
Love that picture.
जवाब देंहटाएंBabli (Urmi ji),
जवाब देंहटाएंThank you for visiting my blog! I thoroughly am enjoying reading yours!
Mr.Haddock ,
जवाब देंहटाएंThanks for your comments.Hope you will be give me your valuable response on my future posts.
कितनी बार द्वार से लौटा ,
जवाब देंहटाएंछूकर बंद किवाड़ तुम्हारे .ब्लॉग पर जितनी बार लौटे आँचल का रंग धानी ही देखा .अब एक नै रचना के साथ इस रंग को भी बदलो .
veerubhai ji,
जवाब देंहटाएंthank you for the comment ..
Bahut hi acchhi gazal varsha Ji.. Aabhar..
जवाब देंहटाएंअनिल अवतार जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस अनुग्रहपूर्ण टिप्पणी के लिए हृदय से आभारी हूं.
कृपया इसी तरह आत्मीयता बनाएं रखें।