शनिवार, जनवरी 25, 2020

🇮🇳 गणतंत्र दिवस पर विशेष ग़ज़ल : 🇮🇳 सम्मान तिरंगा है 🇮🇳 - डॉ.वर्षा सिंह 🇮🇳

Happy Republic Day - Dr. Varsha Singh

     🇮🇳♥🇮🇳  🇮🇳♥🇮🇳  🇮🇳♥🇮🇳  🇮🇳♥🇮🇳

सम्मान तिरंगा है
       - डॉ. वर्षा सिंह

शान  तिरंगा  है, अपनी  आन तिरंगा है ।
सारी दुनिया से कह दो सम्मान तिरंगा है।

वीरों ने कुर्बानी  दे कर इसे सजाया  है,
देशभक्ति गौरवगाथा का गान तिरंगा है।

हम भारत के वासी, हमको निर्भय रहना है,
हर इक भारतवासी का अभिमान तिरंगा है।

लोकतंत्र विश्वास हमारा, सांस भारती हैै,
अमृत है गणतंत्र और वरदान तिरंगा है।

संविधान के प्रति निष्ठा पहचान हमारी है,
कभी न झुकने पाएगा,  ईमान तिरंगा है।

जाति-धर्म, भाषाएं, बोली ढेरों हैं लेकिन
सबके दिल की एक कथा, उन्वान तिरंगा है

"वर्षा" हमने जन्मभूमि को मां का मान दिया,
रहे सदा सबसे ऊंचा, अरमान तिरंगा है।

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गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं - डॉ. वर्षा सिंह
     🇮🇳♥🇮🇳  🇮🇳♥🇮🇳  🇮🇳♥🇮🇳  🇮🇳♥🇮🇳






प्रिय मित्रों,
      गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ❤🇮🇳❤
      मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 26 जनवरी 2020 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=24567



शुक्रवार, जनवरी 24, 2020

बजट 2020 : एक ग़ज़ल और कुछ उम्मीदें - डॉ. वर्षा सिंह

   आगामी  01 फरवरी को मोदी सरकार 2.0 का दूसरा बजट पेश होने वाला है। सभी वर्गों की जनता को  इस बजट से काफी उम्मीदें हैं, ख़ास तौर पर मध्यम वर्ग को.... जिस पर मंहगाई, बेरोज़गारी आदि का असर सबसे ज़्यादा पड़ता है।

Dr. Varsha Singh

       अपनी ताज़ा ग़ज़ल के धागे में केन्द्रीय बजट 2020 से की जाने वाली इन्हीं उम्मीदों को मैंने यहां पिरोने की कोशिश की है...

बजट केन्द्र का ऐसा हो जो राहत देने वाला हो
निर्धन के घर में भी सुख को दावत देने वाला हो

मंहगाई पर अंकुश वाला बजट बने कुछ अब ऐसा
बिगड़ी स्थितियों को बेहतर हालत देने वाला हो

हमको है उम्मीद बजट से, ऐसा कोई सूत्र मिले
रुपये को मज़बूती दे कर ताकत देने वाला हो

नहीं निराशा रहे शेष अब कहीं किसी के भी मन में
आने वाला वक़्त सभी को चाहत देने वाला हो

सच्चे अर्थों में विकास का मंत्र तभी मिल पाएगा
"वर्षा" जब यह तंत्र नया इक भारत देने वाला हो

              -डॉ. वर्षा सिंह



       
       मेरी इस ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 28 जनवरी 2020 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=24672

बजट केन्द्र का ऐसा हो
             - डॉ. वर्षा सिंह

बजट केन्द्र का ऐसा हो जो राहत देने वाला हो
निर्धन के घर में भी सुख को दावत देने वाला हो

मंहगाई पर अंकुश वाला बजट बने कुछ अब ऐसा
बिगड़ी स्थितियों को बेहतर हालत देने वाला हो

हमको है उम्मीद बजट से, ऐसा कोई सूत्र मिले
रुपये को मज़बूती दे कर ताकत देने वाला हो

नहीं निराशा रहे शेष अब कहीं किसी के भी मन में
आने वाला वक़्त सभी को चाहत देने वाला हो

सच्चे अर्थों में विकास का मंत्र तभी मिल पाएगा
"वर्षा" जब यह तंत्र नया इक भारत देने वाला हो
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     सागर, मध्यप्रदेश

युवाप्रवर्तक में प्रकाशित ग़ज़ल - डॉ. वर्षा सिंह

सोमवार, जनवरी 20, 2020

ग़ज़ल.... अजब तमाशा देखा मैंने - डॉ. वर्षा सिंह



Dr. Varsha Singh

ग़ज़ल

अजब तमाशा देखा मैंने
       - डॉ. वर्षा सिंह

मैंने अपनी बात कही थी, उसने अपनी समझी बात
तब से वह करता है मेरी, मैं करती हूं उसकी बात

अजब तमाशा देखा मैंने, दुनिया के इस मेले में
जिसके जी में जो आता है करता बहकी- बहकी बात

धोखे से भी मत कह  देना, प्यार-मुहब्बत का किस्सा
वरना दूर तलक जाएगी मुंह से जो भी निकली बात

क़ैद ज़िन्दगी के कुछ लम्हे, एल्बम की तस्वीरों में
याद आएगी कभी किसी दिन, बेशक भूली-बिसरी बात


कभी किसी मौके पर "वर्षा" चुप रह जाना ग़लत नहीं
ख़ुशियों की गर कर न सको तो मत करना तुम ग़म की बात

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शनिवार, जनवरी 18, 2020

"ग़ज़ल जब बात करती है" ग़ज़ल संग्रह अमेजन पर भी उपलब्ध - डॉ. वर्षा सिंह


      
"ग़ज़ल जब बात करती है "- डॉ. वर्षा सिंह
  
       मैं अपने सभी सम्मानीय ब्लॉग पाठकों  एवं ग़ज़ल के सुधी पाठकों को यह सूचित करना चाहती हूं कि मेरा नवीनतम ग़ज़लसंग्रह "ग़ज़ल जब बात करती है" अब #Amazon पर भी उपलब्ध है... यदि आप इसे पढ़ना चाहें तो अमेजन से इसे सुविधापूर्वक मंगा सकते हैं।
 Link यहां दे रही हूं... 
🙏


सोमवार, जनवरी 13, 2020

साक्षात्कार : साहित्य सारी दुनिया से जोड़ने की ताकत रखता है- डॉ मधुर नज़्मी* *साक्षात्कारकर्ता- डॉ वर्षा सिंह*

साक्षात्कार
साहित्य सारी दुनिया से जोड़ने की ताकत रखता है- डॉ मधुर नज़्मी
साक्षात्कारकर्ता- डॉ वर्षा सिंह


देश के प्रख्यात शायर मधुर नज़्मी जी का मोहम्मदाबाद गोहना, मऊ (उ.प्र.) से मेरे शहर सागर आगमन हुआ।  इस दौरान मैंने उन्हें अपने ग़ज़ल संग्रह "दिल बंजारा" की प्रति भेंट की तथा मैंने और मेरी बहन डॉ शरद सिंह ने उनसे साहित्यिक चर्चाएं कीं। उसी तारतम्य में मैंने उनका एक अनौपचारिक साक्षात्कार लिया जिसका मुख्य अंश यहां प्रस्तुत है -

डॉ. वर्षा सिंह - आप इतने बड़े ग़ज़लगो हैं, आप ग़ज़ल के वर्तमान परिदृश्य को कैसा पाते हैं?

डॉ. मधुर नज़्मी- ग़ज़ल का वर्तमान परिदृश्य चिन्ताजनक है क्योंकि सोशल मीडिया पर कथित शायरों की बाढ़ आ जाने से ग़ज़ल की गम्भीरता नष्ट हो रही है। आप लोगों जैसे शायरों की ग़ज़ल के प्रति प्रतिबद्धता यह भरोसा दिलाती है कि इस विधा को गम्भीरता से लेने वाले लोग अभी शेष हैं और ग़ज़ल की श्रेष्ठता बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प हैं।

डॉ. वर्षा सिंह - अक्सर यह सुनने में आता है कि साहित्य के प्रति अब लोगों मैं पहले जैसी रुचि नहीं रही। खुले मंच चुटकुलेबाजी का अड्डा बनते जा रहे हैं, आपका इस बारे में क्या कहना है?

डॉ. मधुर नज़्मी- आपका कहना सच है कि मंचों का स्तर अब पहले जैसा नहीं रहा। लेकिन मैं निराश नहीं हूं। साहित्य में बहुत ताकत होती है यदि  ईमानदारी से अपनाया जाए तो साहित्य सारी दुनिया से जोड़ने की ताकत रखता है। मैं मुफ़लिसी में पैदा हुआ लेकिन मेरी शायरी ने दस देशों में जा कर मुशायरे पढ़ने का मौका दिया।

डॉ. वर्षा सिंह - उर्दू ग़ज़ल और हिन्दी ग़ज़ल, इन दो भाषाई नामों पर भी अक्सर बहसें होती रहती हैं। क्या आप इस बंटवारे को उचित मानते हैं?

डॉ. मधुर नज़्मी- मैं ग़ज़ल विधा के संदर्भ में भाषाई विवाद को तरज़ीह नहीं देता हूं। ग़ज़ल तो वह है जो दिल से कही जाए और सुनने वाले के दिल को छू जाए।

डॉ. वर्षा सिंह - सागर आ कर आपको कैसा महसूस हो रहा है?

डॉ. मधुर नज़्मी- जी, सागर आ कर मुझे बहुत अच्छा लगा। सागर को मैं त्रिलोचन शास्त्री जी के सागर प्रवास के कारण जानता था, फिर आपके नाम से इसे जाना। यहां के लोग बहुत मिलनसार हैं।

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     देश के प्रख्यात शायर मधुर नज़्मी जी से मेरे द्वारा लिया गया अनौपचारिक साक्षात्कार वेब मैगजीन "युवाप्रवर्तक" में आज दिनांक 13.01.2020 को प्रकाशित हुआ है। कृपया आप भी पढ़ें...
http://yuvapravartak.com/?p=24389
हार्दिक आभार "युवाप्रवर्तक" 🙏

http://yuvapravartak.com/?p=24389

साथ ही तीनबत्ती न्यूज़.कॉम ने तीनबत्ती न्यूज़.कॉम में इसे प्रकाशित किया है....
साहित्य सारी दुनिया से जोड़ने की ताकत रखता है- डॉ #मधुर #नज़्मी
#साक्षात्कार/डॉ #वर्षासिंह
 https://www.teenbattinews.com/2020/01/blog-post_90.html
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www.teenbattinews.com


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शुक्रवार, जनवरी 10, 2020

लुभा रही है हिन्दी - डॉ. वर्षा सिंह

डॉ. वर्षा सिंह

विश्व हिन्दी दिवस दिनांक 10 जनवरी पर विशेष*
ग़ज़ल

लुभा रही है हिन्दी
       - डॉ. वर्षा सिंह

ज्ञान मार्ग में नित नए दीपक जला रही है हिन्दी
दुनिया भर के देशों को भी लुभा रही है हिन्दी

हिन्दी में यह खूबी है कि सबको यह अपनाए
साथ समय के क़दम मिला कर बुला रही है हिन्दी

हिन्दी की है सखी-सहेली, उर्दू, अरबी, इंग्लिश
बहनापे का रिश्ता सबसे निभा रही है हिन्दी

यूं तो भाषाएं अनेक हैं, बोली यहां हज़ारों
लेकिन सबको इक माला में सजा रही है हिन्दी

गंगा की पावनता इसमें, यमुना की निर्मलता
अपनेपन की अद्भुत धारा बहा रही है हिन्दी

इक दिन होगी दुनिया भर में संपर्कों की भाषा
अपनी गुणवत्ता को ऐसी बढ़ा रही है हिन्दी

समय बना प्रतिकूल भले हो "वर्षा" अडिग रही है
निर्भय हो कर जीवन जीना सिखा रही है हिन्दी

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मेरी यह ग़ज़ल आज दिनांक 10 जनवरी 2020 को "पत्रिका" (राजस्थान पत्रिका) के सागर संस्करण में प्रकाशित हुई है.....