इक पल तोला, इक पल माशा.
यही तो जीवन की परिभाषा.
बेचैनी में रात कटी, पर
सुबह हुई तो जागी आशा.
दुनिया कितनी सुंदर होती
होती सबकी गर इक भाषा.
वक़्त बदलते देर न लगती
होगी पूरी हर अभिलाषा.
अपनेपन से भीगे तन-मन
दुआ यही करती है "वर्षा".
💟 - डॉ. वर्षा सिंह
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