संगीता स्वरुप जी, आपको मेरी यह गजल अच्छी लगी, यह मेरे लिए अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है.....हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
मौसम को अब होश कहाँ उलझा प्रेम पहेली में , चाल हवा की बदली है ,चर्चा सखी सहेली में . बूंदों की अठ- खेली में ,मेहँदी रची हथेली में . वर्षा की फिर कलम चली हलचल हुई बरेली में ./हलचल नै नवेली में .सुन्दर कोमल भावनाओं का आशियाना है यह गीत .बधाई .
चाल हवा की बदली है चर्चा सखी सहेली में | ******************** यूँ मिठास है गजलों में जैसे गुड की भेली में | .................वाह .........क्या कहना ! साथ में गज़ब का चित्र संयोजन
डॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ जी, आपको मेरी यह गजल अच्छी लगी, यह मेरे लिए अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है.....हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
bahut dino se bibidh blogs pe aapke comment padh raha tha...aaj pahli baar aapke blog pe aana hua..behad accha laga..itni choti behar mein itni shandar ghazal..baise ek aur khushi mujhe tab hui ..jab ye jaana ki aap bhi sagar se hain..bajme daag..hindu urdu majlis..itayadi sansthaon mein aap se mulakat hui thi ye to dhyan nahi..kintu sharad ji aur aapko main ek jamane se jan raha tha ..lekin pehchaan nahi paa raha tha..aaj jaankari ko pehchaan bhi mil gayi..sadar pranam..kabhi samay ho to mere blog pe aake mera margdarshan kijiyega..shubhkamnaon ke sath
डॉ वर्षा सिंह जी हार्दिक अभिवादन सुन्दर रचना बधाई सावन का मजा आ गया -वर्षा सावन दोनों ही हैं -चाहत नयी नवेली में ..क्या कहने -आनंद दायी धन्यवाद -शुभ कामनाएं शुक्ल भ्रमर ५ भ्रमर का दर्द और दर्पण
नै नवेली के मेहँदी रचे हाथ बारहा देखे -चाहत भी देखी अब पाद सौन्दर्य भी रचो ,पैरों की महावर ,बिछिया और पाजेब .......आपकी रचनाएं पर्तिक्षित हैं .शुक्रिया ब्लॉग पर आहट के लिए .कृपया इसे भी बांचे - http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
एक बार फिर वर्षा जी आपकी भावनात्मक प्रस्तुति अंतस को स्पर्श करती गयी पंक्तियाँ पढ़ते-पढ़ते , बधाई
जवाब देंहटाएंवाह ..वर्षा जी ..खूब लिखी है वर्षा सावन दोनों हैं ... बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब ... इस छोटी बहर के शेर गज़ब ढा रहे हैं आज ... वर्षा की बूँदें कैसे प्रेम का संगीत बिखेर रही हैं ...
जवाब देंहटाएंAwesome projection of thoughts !!!
जवाब देंहटाएंवर्षा सावन दोनों हैं भावनात्मक प्रस्तुति , बधाई....
जवाब देंहटाएंकुश्वंश जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
संगीता स्वरुप जी,
जवाब देंहटाएंआपको मेरी यह गजल अच्छी लगी, यह मेरे लिए अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है.....हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
बेहतरीन, आनन्द आ गया,
जवाब देंहटाएंशब्दों की अठखेली में।
दिगम्बर नासवा जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे बेहतरीन शायर ने मेरी गजल को सराहा, यह मेरे लिए अत्यन्त सुखद है.आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
Jyoti Mishra ji,
जवाब देंहटाएंThanks dear! your always welcome in my blog.
सुनील कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
प्रवीण पाण्डेय जी,
जवाब देंहटाएंआपकी काव्यात्मक टिप्पणी ने दिल खुश कर दिया....इस प्रोत्साहन के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत ही सुंदर गज़ल वर्षा जी,
जवाब देंहटाएंआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुंदर शब्द पिरोये हैं आपने.... मन को छूती सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंविवेक जैन जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार !
डॉ॰ मोनिका शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...
इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
मौसम को अब होश कहाँ उलझा प्रेम पहेली में ,
जवाब देंहटाएंचाल हवा की बदली है ,चर्चा सखी सहेली में .
बूंदों की अठ- खेली में ,मेहँदी रची हथेली में .
वर्षा की फिर कलम चली हलचल हुई बरेली में ./हलचल नै नवेली में .सुन्दर कोमल भावनाओं का आशियाना है यह गीत .बधाई .
वीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
बेहतरीन ग़ज़ल....
जवाब देंहटाएंछोटी बहर की अच्छी मौसमी गज़ल....आनन्द आया.
जवाब देंहटाएंसुहाने मौसम की ,सुहानी ग़ज़ल!उम्दा!
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
चाल हवा की बदली है,
जवाब देंहटाएंचर्चा सखी-सहेली में।
बेहतरीन अशआर, बधाई।
वीना जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार !
समीर लाल जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अशोक'अकेला' जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया...
इस उत्साहवर्द्धन के लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
डॉ. संजय दानी जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को पसन्द करने और अपने विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण ग़ज़ल! उम्दा प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंBeautiful
जवाब देंहटाएंउर्मि चक्रवर्ती जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं...
इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें.
मृदुला हर्षवर्द्धन जी,
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल पर आपके आत्मीय विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.... हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
सभी शेर लाजवाब.
जवाब देंहटाएंमक्ता हमेशा की तरह ग़ज़ब का .तख़ल्लुस का बेहतरीन इस्तेमाल.
कुंवर कुसमेश जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे अच्छे शायर द्वारा मेरी गजल की सराहना, मेरे लिए अत्यन्त सुखद है. हार्दिक आभार !
वाह वर्षाजी,
जवाब देंहटाएंखूब बहुत लाजवाब
bahut sunder,.............
जवाब देंहटाएंसंजय कुमार चौरसिया जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार !
रोशी जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
क्या बात है वर्षा जी
जवाब देंहटाएंछोटी बहर की हिंदी गज़ल
गहरे अर्थं वाली
गिरीश "मुकुल" जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को पसन्द करने और अपने विचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
हमेशा की तरह रसभरी ग़ज़ल.लगा, बारिश हो रही है.
जवाब देंहटाएंkya bad hai varsh savan dono hain .
जवाब देंहटाएंkya khoob likha hai
rachana
बहुत सुंदर आल्हादित करती हुई अनुभूति ....
जवाब देंहटाएंवाह ... बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।
जवाब देंहटाएंसुहावने मौसम सी सुहावनी प्रस्तुति...सुन्दर...
जवाब देंहटाएंनन्हीं सी गजल है लेकिन इतनी खूबसूरत कि वाह-वाह-वाह कहते थकता नहीं दिल...
जवाब देंहटाएंहमारी साँसों में आज तक वो हिना की खुशबू महक रही है......
जवाब देंहटाएंचाल हवा की बदली है
जवाब देंहटाएंचर्चा सखी सहेली में |
********************
यूँ मिठास है गजलों में
जैसे गुड की भेली में |
.................वाह .........क्या कहना !
साथ में गज़ब का चित्र संयोजन
चर्चा मंच का आभार जो इस नायब ब्लॉग तक पहुचंने और नियमित पाठिका बनने का सुअवसर मिला....
जवाब देंहटाएंआपकी रचना पर तो क्या कहूँ....
मन आनंदपूरित हो गया...क्या लिखती हैं आप....बस, वाह वाह वाह....
गिरीश पंकज जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को पसन्द करने के लिए हार्दिक आभार !
रचना जी,
जवाब देंहटाएंविचारों से अवगत कराने के लिए.. हार्दिक धन्यवाद.
अनुपमा त्रिपाठी जी,
जवाब देंहटाएंमेरी गजल को पसन्द कर अपने विचारों से अवगत कराने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद.
सदा जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं...
इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें.
माहेश्वरी जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
knkayastha ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your comments.
Hope you will be give me your valuable response on my future posts.
दिव्या जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं....आपको हार्दिक धन्यवाद.
सुरेन्द्र सिंह " झंझट " जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
रंजना जी,
जवाब देंहटाएंआपको मेरी यह गजल अच्छी लगी, यह मेरे लिए अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है.....हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा मंच
दिलबाग विर्क जी,
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार !
shabda rachana ki sadagi rachnakar ki apni sadagi ki abhjvyakti maloom padati hai!!! badhayiaaa
जवाब देंहटाएंडॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’ जी,
जवाब देंहटाएंआपको मेरी यह गजल अच्छी लगी, यह मेरे लिए अत्यन्त प्रसन्नता का विषय है.....हार्दिक धन्यवाद एवं आभार .... कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंआपको गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया जोधपुर और हैम्स ओसिया इन्स्टिट्यूट जोधपुर की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंआपको गुरु पूर्णिमा की ढेर सारी शुभकामनायें..
वर्षा -सावन दोनों हैं ......बहुत खूब... सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसंजय भास्कर जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
सवाई सिंह राजपुरोहित जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं...
इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें.
सवाई सिंह राजपुरोहित जी,
जवाब देंहटाएंआपको भी गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं...
रेखा जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं....आपको हार्दिक धन्यवाद.
इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें.
डॉ. वर्षा जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अश’आरों से सजी गज़ल बिल्कुल हाथों में रची हुई मेंहदी सी लगी।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
बहुत ही मनभावन कोमल भावों को भाव स्पर्शी सुन्दर शब्दों में पिरो कर रचित अंतर्मन को स्पर्श करती काब्यांजलि ..कोटि कोटि अभिनन्दन एवं शुभ कामनाएं !!!
जवाब देंहटाएंचाल हवा की बदली है
जवाब देंहटाएंचर्चा सखी-सहेली में.
वर्षा जी क्या खूब लिखती हैं.भावों की तितलियों को कैद करने के लिये कोई तिलस्मी जाल है क्या आपके पास ? मन प्रसन्न हो जाता है.
आदरणीया डॉ.वर्षा सिंह जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवादन !
इतनी ख़ूबसूरत ग़ज़ल !
बहुत ख़ूब ! क्या कहने !
यूं मिठास है ग़ज़लों में
जैसे गुड़ की भेली में
जवाब नहीं आपका भी … … …
शुभकामनाओं सहित
- राजेन्द्र स्वर्णकार
आपके लिए एक संदेश है …
जवाब देंहटाएंआपकी मेल आईडी न होने से यहां लिख रहा हूं …
राजस्थानी भाषा में एक शृंगारिक ग़ज़ल सुनने-पढ़ने के लिए
इस लिंक पर अवश्य पधारें
वर्षा सावन दोनों हैं
जवाब देंहटाएंचाहत नई नवेली में
वाह वर्षा जी, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है!
मुकेश कुमार तिवारी जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं....आपको हार्दिक धन्यवाद.
श्रीप्रकाश डिमरी जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया. हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
सपना निगम जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसे अच्छे कवि द्वारा मेरी गजल की सराहना, मेरे लिए अत्यन्त सुखद है. हार्दिक आभार !
राजेन्द्र स्वर्णकार जी,
जवाब देंहटाएंसंदेश देने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद.
'साहिल' जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं....आपको हार्दिक धन्यवाद.
इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें.
"यूँ मिठास है ग़ज़लों में
जवाब देंहटाएंजैसे गुड की भेली में"
बहुत सुन्दर गज़लें हैं... बिलकुल गुड की भेली की मानिंद...
"पहली बार आया, यह ब्लॉग बहुत भाया
कदम कदम मिली यहाँ, शीतल सी छाया"
सादर आभार....
छोटी बह्र की गज़ल कहना बड़ा म ुष्किल होता है। आपने बिल्कुल सीधे सरल शब्दों में मन को छू जाने वाली बात कही है। अच्छी गज़ल है।
जवाब देंहटाएंकोमल अहसासों को बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है..लाज़वाब
जवाब देंहटाएंएस.एम.हबीब जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है! आपकी काव्यात्मक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार...कृपया इसी तरह सम्वाद बनाए रखें।
हरिशंकर जी,
जवाब देंहटाएंआपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया है.
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार ....
बबली जी,
जवाब देंहटाएंसूचित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद .....
कैलाश सी.शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं...
इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें.
bahut dino se bibidh blogs pe aapke comment padh raha tha...aaj pahli baar aapke blog pe aana hua..behad accha laga..itni choti behar mein itni shandar ghazal..baise ek aur khushi mujhe tab hui ..jab ye jaana ki aap bhi sagar se hain..bajme daag..hindu urdu majlis..itayadi sansthaon mein aap se mulakat hui thi ye to dhyan nahi..kintu sharad ji aur aapko main ek jamane se jan raha tha ..lekin pehchaan nahi paa raha tha..aaj jaankari ko pehchaan bhi mil gayi..sadar pranam..kabhi samay ho to mere blog pe aake mera margdarshan kijiyega..shubhkamnaon ke sath
जवाब देंहटाएंDr.Ashutosh Mishra "Ashu" ji,
जवाब देंहटाएंThanks for your comments.
Hope you will be give me your valuable response on my future posts.
डॉ वर्षा सिंह जी हार्दिक अभिवादन सुन्दर रचना बधाई
जवाब देंहटाएंसावन का मजा आ गया -वर्षा सावन दोनों ही हैं -चाहत नयी नवेली में ..क्या कहने -आनंद दायी
धन्यवाद -शुभ कामनाएं
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
सुरेन्द्र शुक्ला जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
bahut hi pyaari panktiyaan .
जवाब देंहटाएंBeautiful ghazal !
जवाब देंहटाएंVarsha ji namaskaar,
जवाब देंहटाएंaaj aapki ghazal padi.....
bahut achha laga..padkar...dil chhu gayi....
mere blog par aapka swaagat hai.....
sadar
ज्योति सिंह जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया... हार्दिक धन्यवाद !
Divya ji,
जवाब देंहटाएंHearty Thanks for your comment...
You are always welcome in my blog.
कुमार जी,
जवाब देंहटाएंबहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
बेहतरीन, लाजवाब।
जवाब देंहटाएंक्या सुंदर शब्दों का प्रयोग किया है आपने .. गुड़ की भेली में, वर्षा सावन दोनों हैं .. वाह-वाह!!
मनोज कुमार जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं....आपको हार्दिक धन्यवाद.
इसी प्रकार स्नेह बनाए रखें.
naayi naveli dulhan ke man ke saare armaano kuchh hi panktiyon me simat gaye se lagte hain
जवाब देंहटाएंडिम्पल माहेश्वरी जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं।
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
shaandaar !
जवाब देंहटाएंmausam ko ab hosh kahan,
जवाब देंहटाएंuljha prem paheli me ....saawn ke rang aur bhaavo ki rimjhim bauchhar ......bhigone me kamyaab rahi hai aap.....
जोगेश्वर गर्ग जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
अंजू जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गजल को सराहा...इसके लिए अत्यन्त आभारी हूं।
नै नवेली के मेहँदी रचे हाथ बारहा देखे -चाहत भी देखी अब पाद सौन्दर्य भी रचो ,पैरों की महावर ,बिछिया और पाजेब .......आपकी रचनाएं पर्तिक्षित हैं .शुक्रिया ब्लॉग पर आहट के लिए .कृपया इसे भी बांचे -
जवाब देंहटाएंhttp://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
badhiyaa gazal
जवाब देंहटाएंबहित खूबसूरत गज़ल बिल्कुल हमारी दोस्त कि खूबसूरत मुस्कान जैसी :)
जवाब देंहटाएंवीरू भाई जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत-बहुत धन्यवाद !
रश्मि प्रभा जी,
जवाब देंहटाएंआप जैसी अच्छी.... सुकवयित्री द्वारा मेरी गजल की सराहना, मेरे लिए अत्यन्त सुखद है. हार्दिक आभार !
मीनाक्षी पंत जी,
जवाब देंहटाएंआपकी आत्मीय टिप्पणी के लिए आभारी हूं....आपको हार्दिक धन्यवाद.