सोमवार, दिसंबर 23, 2019

नागरिकता संशोधन कानून के परिप्रेक्ष्य में : ग़ज़ल ... झंझट-झगड़ा ठीक नहीं - डॉ. वर्षा सिंह

Dr. Varsha Singh

*ग़ज़ल*

*ठीक नहीं*
       - डॉ. वर्षा सिंह

हर मुद्दे पर झंझट - झगड़ा  ठीक  नहीं
बिना बात का लफड़ा-दफड़ा ठीक नहीं

मज़बूरी में  फटा  पहनना  चलता  है
फैशन में लटकाना चिथड़ा ठीक नहीं

फूल खिले हों, तरह-तरह की ख़ुशबू हो
अगर बाग़ है तो फिर उजड़ा ठीक नहीं

खाली-पीली आपस में तक़रार  ग़लत
हरदम जात-धरम का पचड़ा ठीक नहीं

"वर्षा" अपना है जग सारा, सब अपने
यूं  ही  रहना उखड़ा-उखड़ा ठीक नहीं

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प्रिय मित्रों,
        मेरी ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 20 दिसम्बर 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏

मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (24-12-2019) को    "अब नहीं चलेंगी कुटिल चाल"  (चर्चा अंक-3559)   पर भी होगी। 
    -- 
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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  2. बहुत बहुत हार्दिक आभार 🙏

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  3. बेहतरीन सृजन आदरणीया
    सादर

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