आपकी गज़लें मन को छू जाती हैं. बूंदों, फूलों, दूजों, झूलों, भूखों, चाहत, इबादत, रूपों की ग़ज़ल जो आपने कही है, वह सम्पूर्ण जगत की बात कर रही है, अपने ढंग से. आपकी ग़ज़ल में जल है, जीवन है, प्रकृति है, जन-मन है, प्रेम है, पीड़ा का गायन है और है खुले गगन में उड़ने का सपना. बहुत सुन्दर रचना है आपकी यह. बधाई स्वीकारें. अवनीश सिंह चौहान
बहुत ही उम्दा गज़ल है । हर एक शेर लाज़वाब है । अपनी तो बहुत कह ली दूजों की गज़ल कह दो, कानों में अमीरी के भूखों की गज़ल कह दो ! अति उत्तम । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ !
उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंदेवेन्द्र गौतम जी (ghazalganga),
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
aapki gazal dil ko chhuti hai
जवाब देंहटाएंvarshaji,
जवाब देंहटाएंbahut sundar abhivyakti, har lafj dil ko chhoo gaya, sundar rachna ke liye bahut bahut aabhaar
पूरी ग़ज़ल लाजवाब है, वर्षा जी.
जवाब देंहटाएंमत्ले में भी नाम का खूबसूरती से अर्थपूर्ण इस्तेमाल नयापन पैदा कर रहा है.
सुंदर गजल के लिए आभार
जवाब देंहटाएंBahut achchha prayog kiya hai prateeko ka...
जवाब देंहटाएंBadhaai...
Indian Sushant
उम्दा ग़ज़ल.
जवाब देंहटाएंआपने अपने नाम को सार्थक कर दिया.
कृपया और जोर से बरसिये.
सलाम.
bhut sunder gazal
जवाब देंहटाएंsamajh nhin aata kis sh'r ki tarif kroon aur kise chhodoon
----- sahityasurbhi.blogspot.com
➨ रश्मि प्रभा जी
जवाब देंहटाएं➨ संजय कुमार चौरसिया जी
➨ कुंवर कुसुमेश जी
➨ ललित शर्मा जी
➨ सुशांत जैन जी
➨ दिलबाग विर्क जी
➨ sagebob
आप सभी को शुभकामनाओं और प्रोत्साहन के लिये बहुत बहुत धन्यवाद.
bahut sunder gajal
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
जवाब देंहटाएंआप के ब्लॉग पे पहली बार आने का सौभाग्य मिला . अच्छा लगा .सुंदर ग़ज़ल .
साधुवाद .
--
दीप्ति शर्मा जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
सुनील गज्जाणी जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है .
आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
6 "फ़ैलुन " की मत्राओं में एक ख़ुबसूरत ग़ज़ल के लिये वर्षा जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंडॉ. संजय दानी जी,
जवाब देंहटाएंआपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !
वर्षा जी, आप बहुत प्यारी गजल कहती हैं। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं---------
शिकार: कहानी और संभावनाएं।
ज्योतिर्विज्ञान: दिल बहलाने का विज्ञान।
ज़ाकिर अली ‘रजनीश’जी,
जवाब देंहटाएंआपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !
dil ko chhoo gayi baate ,bahut khoobsurat .
जवाब देंहटाएंआप गज़ल अरबी नाम धन्यवाद
जवाब देंहटाएंब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण, धन्यवाद देता हूँ समस्त ब्लोगर्स साथियों को ......>>> संजय कुमार
जवाब देंहटाएंMadam aapki Gazal humko bhi bahut acchi lagi...
जवाब देंहटाएंज्योति सिंह जी,
जवाब देंहटाएंबहुत -बहुत ..शुक्रिया.
संजय कुमार चौरसिया जी,
जवाब देंहटाएंआपके ब्लॉग लेखन को एक बर्ष पूर्ण होने पर आपको शुभकामनायें .
संजीव जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत धन्यवाद!
वर्षा जी ..आपकी ये ग़ज़ल बेहद पसंद आई। आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंविरेन्द्र सिंह चौहान जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक आभार...
आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
वैसे अमीरी के आंख, कान नहीं होते.... पैसे खनकते हैं, सिर्फ जुबान होती है। फिर भी अच्छा है यदि गरीबी की गजल जता दी जाये।
जवाब देंहटाएंRajey Sha ji,
जवाब देंहटाएंThank you for visiting my blog!
I feel honored by your comment.
आपकी गज़लें मन को छू जाती हैं. बूंदों, फूलों, दूजों, झूलों, भूखों, चाहत, इबादत, रूपों की ग़ज़ल जो आपने कही है, वह सम्पूर्ण जगत की बात कर रही है, अपने ढंग से. आपकी ग़ज़ल में जल है, जीवन है, प्रकृति है, जन-मन है, प्रेम है, पीड़ा का गायन है और है खुले गगन में उड़ने का सपना. बहुत सुन्दर रचना है आपकी यह. बधाई स्वीकारें. अवनीश सिंह चौहान
जवाब देंहटाएंअवनीश सिंह चौहान जी,
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद...
आपके विचारों का मेरे ब्लॉग्स पर सदा स्वागत है।
इंसान को मत बांधों मजहब के रदीफ़ों से,
जवाब देंहटाएंअपनी तो बहुत कह ली दूजों की ग़ज़ल कह दो !
वाह! वर्षा जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने ! मुबारक हो
ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
जवाब देंहटाएंआपको हार्दिक धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !
बहुत ही उम्दा गज़ल है । हर एक शेर लाज़वाब है । अपनी तो बहुत कह ली दूजों की गज़ल कह दो, कानों में अमीरी के भूखों की गज़ल कह दो ! अति उत्तम । धन्यवाद एवं शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत ग़ज़ल हर पंक्ति एक प्यारा सा सन्देश देती हुई |
जवाब देंहटाएंरजनीश तिवारी जी,
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत धन्यवाद!
मीनाक्षी पंत जी,
जवाब देंहटाएंआभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
आपको बहुत बहुत धन्यवाद !
आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंsabhi rachnaayen ek se badhke ek hain ,zindaa ehsaas hain .
जवाब देंहटाएंveerubhai .
वीरु भाई जी,
जवाब देंहटाएंआपकी इस सहृदयता के लिए आभारी हूं।
आपके विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं....अपने विचारों से अवगत कराने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।
फुटपाथ पे घुट-घुट के , दम तोड़ रहा बचपन
जवाब देंहटाएंआंचल की हवा दे कर,झूलों की गजल कह दो |
वाह! और आह! का संगम ....
शुभकामनाये !
स्वस्थ रहें !
अशोक सलूजा !
अशोक सलूजा जी,
जवाब देंहटाएंआपने मेरी गज़ल को पसन्द किया आभारी हूं।
हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें।
मेरे ब्लॉग पर आपका हमेशा स्वागत है!