ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
ये समुद्र के अंतर कि सी लहर है बिन कहे ज्वार भाटा सी उठ जाती है
Thanks Ramakant Singh ji.
ये समुद्र के अंतर कि सी लहर है बिन कहे ज्वार भाटा सी उठ जाती है
जवाब देंहटाएंThanks Ramakant Singh ji.
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