बेबसी में ज़िन्दगानी
बोतलों में बंद पानी
बोतलों में बंद पानी
काटना होगा जो बोया
है यही चिंता पुरानी
है यही चिंता पुरानी
नीर के स्त्रोतों से कब तक
और होगी छेड़खानी
और होगी छेड़खानी
कल धरा का रूप क्या हो !
दिख रही जो आज धानी
दिख रही जो आज धानी
गर नहीं सत्ता रहेगी
कौन राजा, कौन रानी !
कौन राजा, कौन रानी !
क्या किया, सोचो कभी तो
गुम कुंआ, नदिया सुखानी
गुम कुंआ, नदिया सुखानी
काटना होगा जो बोया
रीत दुनिया की पुरानी
रीत दुनिया की पुरानी
रह न जाये याद बन कर
बूंद-"वर्षा" की कहानी
बूंद-"वर्षा" की कहानी
- डॉ. वर्षा सिंह
जय मां हाटेशवरी...
जवाब देंहटाएंअनेक रचनाएं पढ़ी...
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हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 27/03/2018 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।
बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंबहुत खूबसूरत ग़ज़ल ...
जवाब देंहटाएंछोटी बहर का कमाल है ...
वाह!!बहुत खूब!!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शुभा जी
हटाएंआदरनीय वर्षा जी -- आपकी सुंदर रचना पढ़ी |बहुत अच्छी लगी | सभी पंक्तियाँ बहुत लाजवाब हैं | सादर ,सस्नेह ------
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रेनू जी
हटाएंबहुत ही सुन्दर खूबसूरत रचना.....
जवाब देंहटाएंवाह!!!!
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंउम्दा ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंशुक्रिया तहेदिल से 🙏
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