Dr. Varsha Singh |
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=17135
*ग़ज़ल*
दोस्त वही सच्चा है ....
- डॉ. वर्षा सिह
भूली बिसरी याद जाग कर हलचल करती है दिल में ।
सूखा फूल मिला हो जैसे किसी पुराने नाविल में ।
एक हंसी दे जाता है और एक ख़ुशी ले जाता है,
फ़र्क यही होता है जीवनदाता में और क़ातिल में ।
होना क्या था और हुआ क्या, भेद न मन कर पाता है,
अर्थ बदल जाते हैं अक़्सर सपनों वाली झिलमिल में ।
यूं तो सूची बहुत बड़ी है, "लाइक" करने वालों की,
लेकिन दोस्त वही सच्चा है काम जो आये मुश्किल में ।
"वर्षा" नफरत के बदले में नफरत ही हासिल होती, छिपी हुई रहती है दुनिया नन्हीं सी इस्माइल में ।
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#ग़ज़लवर्षा
ग़ज़ल- डॉ. वर्षा सिंह # ग़ज़लवर्षा |
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (05-08-2019) को "नागपञ्चमी आज भी, श्रद्धा का आधार" (चर्चा अंक- 3418) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आदरणीय डॉ. शास्त्री जी,हार्दिक आभार 🙏
जवाब देंहटाएंअर्थ बदल जाते हैं अक़्सर सपनों वाली झिलमिल में।... वाह क्या खूब लिखा है वर्षा जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद अलकनंदा सिंह जी 🙏🌺🙏
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