सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

वासंती दोपहरी, वासंती शाम


28 टिप्‍पणियां:

  1. Ek aur achi gajhal...

    Kya titaliyaa khud araam karna chahti hai ????

    Indian Sushant

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  2. मनभावन बासंती अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई।

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  3. बसन्ती रंग में रंग गयी आज आप की ग़ज़ल भी.
    "इतराती कलियाँ,इतराते फूल,
    भौरों के सर पर आया इलज़ाम."
    बहुत ही बढ़िया.
    शुभ कामनाएं

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  4. मनभावन बासंती अभिव्यक्ति, बहुत बहुत बधाई।
    शुभ कामनाएं

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  5. बसंत पंचमी पर प्रकृति के मदमाते रूप का वर्णन करती सुंदर गजल
    sahityasurbhi.blogspot.com

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  6. ✿ सुशांत जैन जी
    ✿ संजय दानी जी
    ✿ sagebob
    ✿ संजय कुमार चौरसिया जी
    ✿ दिलबाग विर्क जी

    आप सब के स्नेह के लिए हार्दिक आभार!

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  7. आदरणीया वर्षा सिंह जी

    ख़ूबसूरत सरस बासंती रचना के लिए आभार और बधाई !
    बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !

    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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  8. बहुत बढ़िया सामयिक वर्णन ! शुभकामनायें !

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  9. वसंती रगों से सजी खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    आप को वसंत की ढेरों शुभकामनाएं!
    सादर,
    डोरोथी.

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  10. माँ सरस्वती को नमन........बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें आपको भी......

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  11. वासंती रंगो-महक में डूबी सुन्दर रचना.

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  12. ● राजेन्द्र स्वर्णकार जी
    ● सतीश सक्सेना जी
    ● ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी
    ● Dorothy जी
    ● चैतन्य शर्मा जी
    ● कुंवर कुसुमेश जी

    मेरे ब्लॉग पर आने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।

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  13. बासंती मौसम को समर्पित यह ग़ज़ल बहुत अच्छी लगी।

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  14. अत्यंत सुंदर , सुसज्जित एवं आकर्षक ब्लाग ।रचनाओँ के भी क्या कहने । अछोर बधाइयाँ ।वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ ।

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  15. ख़ूबसूरत बासंती रचना के लिए आभार.....

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  16. ∎ मनोज कुमार जी
    ∎ डॉ. नागेश पांडेय "संजय" जी

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है........
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
    आपको बहुत-बहुत धन्यवाद.

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  17. संजय भास्कर जी,
    देर से सही, आपका आना सुखद लगा ......
    हार्दिक धन्यवाद!

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  18. आशुतोष मिश्र जी ,मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपको धन्यवाद. आपके विचारों से मेरा उत्साह बढ़ेगा.

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  19. सुमन जी,हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है।

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  20. कर लिया बगीचों ने नूतन श्रृंगार ,
    गली गली बन गए खुशबू के धाम !

    वाह ! डा. वर्षा जी,
    ग़ज़ल का हर शेर बासंती रंग में नहाया हुआ है !
    बसंत ऋतु की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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  21. ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी,
    आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए।
    हार्दिक धन्यवाद!

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  22. वाह ! इस ग़ज़ल का तो जवाब नहीं । लाजवाब !

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  23. डॉ॰ दिव्या श्रीवास्तव जी (ZEAL),
    हार्दिक धन्यवाद!
    मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद! आपका स्वागत है!
    आपके विचारों से मेरा उत्साह बढ़ेगा!
    सम्वाद बनाए रखें!

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  24. "Titlee ko pal bhar naa miltaa aaraam "-
    Par -paragan me (Polination)me uskaa bhi to haath hai ,aaraam kaise mile ,
    prakriti nati kaa melaa ,
    yahaan kaun akelaa !
    veerubhai .

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