संक्षिप्त मे गुज़रे वक्त की याद दिलाती हुई कर्तव्य-बोध कराती हुई सुंदर रचना……… "देव भूमि सा है देश, लोगों ने बदला है वेश भक्षक ही रक्षक बन न पावे इससे तुम उबार लो देव भूमि सा है देश, आरती उतार लो"
"to kaise hogi dosti kisi se ye vichaar lo , kare gile shikve itne ,khud se ho gaye khafaa , kshatipoorti aapa kijiyegaa -barkhaa .... veerubhai. rachnaayen aapki ek bimb, ek reverbaration (anugoonj )chhod jaati hain ... veerubhai.
bahut sundar....
जवाब देंहटाएंGour Farmaye
waah...
जवाब देंहटाएंसुशान्त जी हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंaapko bhi gantantra divas ki bahut bahut badhai
badhai...gantantra ki.sundar geet ke liye bhi.
जवाब देंहटाएंह्रदय के द्वार बंद कर , स्वयं से हो गए जुदा
जवाब देंहटाएंतो कैसे होगी दोस्ती, किसी से, ये विचार लो
ग़ज़ल के सारे शेर अच्छे हैं
और ये शेर ग़ज़ल की जान मालूम पड़ता है
संजय दानी जी,बहुत -बहुत ..शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंसंजय कुमार चौरसिया जी,हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंगिरीश पंकज जी,हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंदानिश जी, आभारी हूं विचारों से अवगत कराने के लिए। बहुत -बहुत ..शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंbouth he aacha post dr varsha ji... nice blog
जवाब देंहटाएंPleace visit My Blog Dear Friends...
Lyrics Mantra
Music BOl
सामयिक है और सुन्दर है
जवाब देंहटाएंआपकी रचना बहुत अच्छी लगी ..सच बुहारने की ही ज़रूरत है ....
जवाब देंहटाएंDear ManPreet Kaur,welcome in my blog. I am regular visitor of Lyrics Mantra. And now I am join Music BOl.
जवाब देंहटाएंकुंवर कुसुमेश जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंसंगीता स्वरुप जी, चर्चा मंच पर आपके माध्यम से आना सुखद अनुभव रहता है। मेरी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंकुंवर कुसुमेश जी, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद!आपका स्वागत है। सम्वाद क़ायम रखें। आपके विचारों से मेरा उत्साह बढ़ेगा.
जवाब देंहटाएंह्रदय के द्वार बंद कर , स्वयं से हो गए जुदा
जवाब देंहटाएंतो कैसे होगी दोस्ती, किसी से, ये विचार लो
बेहतरीन ...उम्दा भावाभिव्यक्ति वर्षाजी बधाई
संक्षिप्त मे गुज़रे वक्त की याद दिलाती हुई कर्तव्य-बोध कराती हुई सुंदर रचना……… "देव भूमि सा है देश, लोगों ने बदला है वेश भक्षक ही रक्षक बन न पावे इससे तुम उबार लो देव भूमि सा है देश, आरती उतार लो"
जवाब देंहटाएंजय हिन्द, जय हिन्द के वासी।
जवाब देंहटाएंडॉ॰ मोनिका शर्मा ,हार्दिक धन्यवाद! सम्वाद क़ायम रखें। आपके विचारों से मेरा उत्साह बढ़ेगा.
जवाब देंहटाएंसूर्यकान्त गुप्ता जी, बहुत -बहुत ..शुक्रिया !
जवाब देंहटाएंलोकेंद्र जी!आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और गेय है
जवाब देंहटाएंदेव -भूमि सा है देश ............ बहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएंदेव भूमि को दूषित कर रहे है कुछ चाँद लोग..
के.आर.बारस्कर जी!आपको बहुत-बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएं"to kaise hogi dosti kisi se ye vichaar lo ,
जवाब देंहटाएंkare gile shikve itne ,khud se ho gaye khafaa ,
kshatipoorti aapa kijiyegaa -barkhaa ....
veerubhai.
rachnaayen aapki ek bimb, ek reverbaration (anugoonj )chhod jaati hain ...
veerubhai.
aap achha hi achha likhti hain
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