ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
शानदार डॉ. दीदी......ख्यालों मे खोई खुद को ही याद नहीं रख पाती मैं
जिस के ख्यालों में ,कोई खुद खो जाये दिल उसको भला कहाँ भूल पाए ....:-))शुभकामनाएँ!
ek bada hee dilkash geet yaad aa gaya ..isi ko pyar kahte hain isi ko pyar kahte hain..
achcha hai
खोज लेतीं हूँ फिर खुद को...तुम में ही.....:)
bilkul sahi aisa hi hota hai....
झुकी पलकें ,उलझी लटें और अनुनय से भरी आँखें प्रियतम का पता पूछती हैं ?
ek khoobsurat khayaal..
उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ऐसा अक्सर होता है ... जिसको चाहता है इंसान उसी के ख्यालों में डूबा रहता है ...
चित्र कहाँ से ढूँढ कर लाती हैं?
शानदार डॉ. दीदी......
जवाब देंहटाएंख्यालों मे खोई खुद को ही याद नहीं रख पाती मैं
जिस के ख्यालों में ,कोई खुद खो जाये
जवाब देंहटाएंदिल उसको भला कहाँ भूल पाए ....:-))
शुभकामनाएँ!
ek bada hee dilkash geet yaad aa gaya ..isi ko pyar kahte hain isi ko pyar kahte hain..
जवाब देंहटाएंachcha hai
जवाब देंहटाएंखोज लेतीं हूँ फिर खुद को...तुम में ही.....
जवाब देंहटाएं:)
bilkul sahi aisa hi hota hai....
जवाब देंहटाएंझुकी पलकें ,उलझी लटें और अनुनय से भरी आँखें प्रियतम का पता पूछती हैं ?
जवाब देंहटाएंek khoobsurat khayaal..
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंऐसा अक्सर होता है ... जिसको चाहता है इंसान उसी के ख्यालों में डूबा रहता है ...
जवाब देंहटाएंचित्र कहाँ से ढूँढ कर लाती हैं?
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