रविवार, मई 27, 2018

भुट्टा घाईं भुन रए...बुंदेली रचना- डॉ. वर्षा सिंह

प्रिय मित्रों,
        भीषण गर्मी के इस दौर में मेरी एक बुंदेली रचना प्रस्तुत है..... Please read & Share

             भुट्टा घाईं भुन रए

काट-काट जंगलन खों,
बस्तियां बसाय दईं
मूंड़ धरे घुटनों पे
सबई अब रोए हैं।
           ‘पर्यावरण’ की मनो
            ऐसी- तैसी कर डारी
            बेई फल मिलहें जाके
            बीजा हमने बोए हैं।
गरमी के मारे सबई
भुट्टा घाईं भुन रए
‘वर्षा’ खों टेर- टेर
बदरा खों रोय हैं।
            कछू तो सरम करो
            ऐसो- कैसो स्वारथ है
             दूध की मटकिया में
             मट्ठा जा बिलोए हैं।
                                  - डॉ वर्षा सिंह

#बुंदेलीबोली_वर्षासिंह

#ग़ज़लवर्षा

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