सोमवार, जून 03, 2019

डॉ. वर्षा सिंह की ग़ज़ल @ अम्बालिका पत्रिका


        "अम्बालिका" साहित्यिक त्रैमासिक के जनवरी- जून 2019 (संयुक्तांक) में मेरी एक ग़ज़ल प्रकाशित हुई है... Please Read & Share.
हार्दिक आभार "अम्बालिका" के सम्पादक रामबाबू "नीरव" एवं पत्रिका के सम्पादक-मण्डल के प्रति 🙏🌺🙏

 ग़ज़ल
        - डॉ. वर्षा सिंह। 

वो शख़्स मुझे छोड़ मेरे हाल पर गया ।
उसको न कभी मुझसे कोई वास्ता रहा।

दरिया-ए-इश्क़ में मैं डूबी न बच सकी,
मझधार में न उसका सहारा मुझे मिला।

कल शाम मेरा नाम पुकारा किसी ने था,
देखा जो मुड़ के शख़्स वहां पर कोई न था।

यूं तो निगाह जो भी उठी, थी सवालिया,
ये क्या हुआ कि रिश्ता बन कर बिगड़ गया।

"वर्षा" जवाब दूं क्या अब इस जहान को
मैं भूल गई  मेरा अपना पता है क्या !
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#ग़ज़लवर्षा



2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (05-06-2019) को "बोलता है जीवन" (चर्चा अंक- 3357) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सभी मौमिन भाइयों को ईदुलफित्र की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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