गुरुवार, नवंबर 12, 2020

दीप का त्यौहार है दीपावली | ग़ज़ल | डॉ. वर्षा सिंह

        दीप का त्यौहार है दीपावली
                              - डॉ. वर्षा सिंह
दीप का त्यौहार है दीपावली
शीत का श्रृंगार है दीपावली

रह न पाए मैल मन में रंच भर
ज्योति की जलधार है दीपावली

मावसी पीड़ा मिटाने आ गई
हर्ष की झंकार है दीपावली

रह न जाए स्वप्न कोई भी अधूरा
कुमकुमी उपहार है दीपावली

दूर हमसे हो बुराई की डगर
शुभ-पलों का द्वार है दीपावली

आपसी मतभेद सारे भूलिए
प्रीत की मनुहार है दीपावली

हो रही आलोक "वर्षा" हर तरफ़
तिमिर का प्रतिकार है दीपावली
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#दीपावली #ग़ज़ल #ज्योति

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर।
    रूप-चतुर्दशी और धन्वन्तरि जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१४-११-२०२०) को 'दीपों का त्यौहार'(चर्चा अंक- ३८८५) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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  3. दीपोत्सव की दिव्यता से मुखरित कविता मुग्ध करती है - -दीपोत्सव की असंख्य शुभकामनाएं।

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  4. दीप पर्व की मंगलकामनाएं। सुन्दर सृजन।

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  5. बहुत सुंदर रचना वर्षा जी । दीपोत्सव की शुभकामनाएं आपको ।

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