ग़ज़ल पत्रिका By Dr Varsha Singh
गजल और तनहाई का गहरा साथ है .... सुंदर भाव
बहुत सुन्दर कल्पना।
बहुत खूब! भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
वाह! बहुत खूब... सादर।
बहुत ही सुन्दर रचना...
.वाह! बहुत खूब !!
उम्दा रचना ... सुंदर भाव
बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
आपकी पोस्ट पर आना किसी उपलब्धि से कम नहीं, ग़ज़ब लिखती हैं आप! मेरी शुभकामनाएँ
सुन्दर अभिव्यक्ति......
sundar panktiyaan....
superb lines with unpredictablefeelings and emotins.DEDICATED TO YOUR DEEP THOUGHT तनहाइयों में फिर कहाँ यूँ रात ढलती है? खुले होते हैं लब लेकिन कहाँ बात होती है?
SORRY EMOTIONS
इस रात की तन्हाई भी क्या गज़ब ढाती है ... बहुत खूब ..
sare acche hain...
गजल और तनहाई का गहरा साथ है .... सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कल्पना।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत ही सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंवाह!
बहुत खूब !!
उम्दा रचना ... सुंदर भाव
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट पर आना किसी उपलब्धि से कम नहीं, ग़ज़ब लिखती हैं आप! मेरी शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति......
जवाब देंहटाएंsundar panktiyaan....
जवाब देंहटाएंsuperb lines with unpredictable
जवाब देंहटाएंfeelings and emotins.
DEDICATED TO YOUR DEEP THOUGHT
तनहाइयों में फिर कहाँ यूँ रात ढलती है?
खुले होते हैं लब लेकिन कहाँ बात होती है?
SORRY EMOTIONS
जवाब देंहटाएंइस रात की तन्हाई भी क्या गज़ब ढाती है ... बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंsare acche hain...
जवाब देंहटाएं