Dr. Varsha Singh |
मेरी इस ग़ज़ल को web magazine युवा प्रवर्तक के अंक दिनांक 01 अक्टूबर 2019 में स्थान मिला है।
युवा प्रवर्तक के प्रति हार्दिक आभार 🙏
मित्रों, यदि आप चाहें तो पत्रिका में इसे इस Link पर भी पढ़ सकते हैं ...
http://yuvapravartak.com/?p=19480
ग़ज़ल :
राष्ट्रपिता गांधी हो जाना सबके बस की बात नहीं
- डाॅ. वर्षा सिंह
सत्य अहिंसा को अपनाना सबके बस की बात नहीं।
राष्ट्रपिता गांधी हो जाना सबके बस की बात नहीं।
आजादी का स्वप्न देखना, देशभक्त हो कर रहना
बैरिस्टर का पद ठुकराना, सबके बस की बात नहीं।
एक लंगोटी, एक शॉल में, गोलमेज चर्चा करना
हुक्मरान से रुतबा पाना, सबके बस की बात नहीं।
आजादी जिसकी नेमत हो, वही आमजन बीच रहे
लोभ, मोह, सत्ता ठुकराना, सबके बस की बात नहीं।
आत्मशुद्धि के लिए निरंतर, महाव्रती हो कर रहना
हंस कर सारे कष्ट उठाना, सबके बस की बात नहीं।
सच के साथ प्रयोगों की ‘वर्षा’ में शुष्क बने रहना
ऐसी अद्भुत राह दिखाना, सबके बस की बात नहीं।
ग़ज़ल ... राष्ट्रपिता गांधी - डॉ. वर्षा सिंह |
सही है।
जवाब देंहटाएंगांधी जी के सिद्धांतों पर चलना सबके बस की बात नहीं ।
आपने मेरी रचना को पसंद किया और टिप्पणी की, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद !
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