शुक्रवार, अक्तूबर 05, 2018

अशोक अंजुम की ग़ज़ल

Dr. Varsha Singh
अशोक अंजुम अपनी ग़ज़लों के माध्यम से जनसामान्य से सीधा संवाद करते हैं। उनकी शायरी पाठकों और श्रोताओं के मन-मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ती है। 
 ग़ज़ल के शेर में काफिया का सही निर्वाह करने के लिए उससे सम्बद्ध कुछ एक मोटे-मोटे नियम हैं जिनको जानना या समझना कवि के लिए अत्यावश्यक हैं। दो मिसरों से मतला बनता है जैसे दो पंक्तियों से दोहा। मतला के दोनों मिसरों में एक जैसा काफिया यानि तुक का इस्तेमाल किया जाता है। 
इस तारतम्य में  अशोक "अंजुम" की यह ग़ज़ल देखें -
द्वार पर साँकल लगाकर सो गए
जागरण के गीत गाकर सो गए।

सोचते थे हम कि शायद आयेंगे
और वे सपने सजाकर सो गए।

काश! वे सूरत भी अपनी देखते
आइना हमको दिखाकर सो गए।

रूठना बच्चों का हर घर में यही
पेट खाली छत पर जाकर सो गए।

हैं मुलायम बिस्तरों पर करवटें
और भी धरती बिछाकर सो गए।

रात-भर हम करवटें लेते रहे
और वे मुँह को घुमाकर सो गए।

घर के अंदर शोर था, हाँ इसलिए
साब जी दफ्तर में आकर सो गए।

कितनी मुश्किल से मिली उनसे कहो
वे जो आज़ादी को पाकर सो गए।

फिर गज़ल का शे'र हो जाता, मगर
शब्द कुछ चौखट पे आकर सो गए।
अशोक अंजुम

अशोक अंजुम 'जबसे हुई सयानी बिटिया भूली राजा-रानी बिटिया बाज़ारों में आते-जाते होती पानी-पानी बिटिया'' जैसे शेर कह कर अंजुम ने हिन्दी ग़ज़ल में नये प्रतिमान स्थापित किए हैं। 
उनकी एक और ग़ज़ल देखें -

बड़ी मासूमियत से सादगी से बात करता है
मेरा किरदार जब भी ज़िंदगी से बात करता है

बताया है किसी ने जल्द ही ये सूख जाएगी
तभी से मन मेरा घण्टों नदी से बात करता है


कभी जो तीरगी मन को हमारे घेर लेती है
तो उठ के हौसला तब रौशनी से बात करता है

नसीहत देर तक देती है माँ उसको ज़माने की
कोई बच्चा कभी जो अजनबी से बात करता है

मैं कोशिश तो बहुत करता हूँ उसको जान लूँ लेकिन
वो मिलने पर बड़ी कारीगरी से बात करता है

शरारत देखती है शक्ल बचपन की उदासी से
ये बचपन जब कभी संजीदगी से बात करता है


 अशोक अंजुम साहित्य जगत के बहुचर्चित व्यक्तित्वों में से एक हैं। अशोक अंजुम की प्रमुख कृतियाँ हैं - मेरी प्रिय ग़ज़लें, मुस्कानें हैं ऊपर-ऊपर, अशोक अंजुम की प्रतिनिधि ग़ज़लें, तुम्हारे लिये ग़ज़ल, जाल के अन्दर जाल मियां, एक नदी प्यासी ।

Shayar Ashok Anjum

3 टिप्‍पणियां:

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  2. अशोक जी कुछ भी लिखें, उनकी लेखनी से अमृत बरसता है।

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  3. अमृत की बारिश.....बहुत सही कहा आपने सुभाष जी ,वास्तव में अशोक जी की शायरी से अमृत बरसता है।

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