ग़ज़ल .... चांद - डॉ. वर्षा सिंह
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Dr. Varsha Singh |
रात के माथे टीका चांद
खीर सरीखा मीठा चांद
हंसी चांदनी धरती पर
आसमान में चहका चांद
महकी बगिया यादों की
लगता महका महका चांद
उजली चिट्ठी चांदी- सी
नाम प्यार के लिखता चांद
"वर्षा" मांगे दुआ यही
मिले सभी को अपना चांद
- डॉ. वर्षा सिंह
वाहहह अति सुंदर,मनभावन चाँद..👌👌
जवाब देंहटाएंचाँद मुझे भी बहुत पसंद..
मेरी चार लाइन आपकी रचना पर-
तोड़कर धागा चाँदनी का
टूटे ख्वाबों को सी लूँ मैं
भरकर एक कोना चाँद का
सारे ग़म आँखों से पी लूँ मैं
हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी !
हटाएंआपकी पंक्तियां भी बहुत सुंदर हैं...
तोड़कर धागा चाँदनी का
टूटे ख्वाबों को सी लूँ मैं
भरकर एक कोना चाँद का
सारे ग़म आँखों से पी लूँ मैं
वाह !