एक भूली याद, फिर आई।
साथ में अपने तुम्हें लाई ।
फाग ने लिख्खी नयी कविता
और लिखते रंग चौपाई ।
धूप निखरी, रूप निखरा है
दूर बजती आज शहनाई ।
छा रहा हर ओर जादू सा
चाहतों ने प्रेम-धुन गाई ।
राधिका ज्यों हो गई "वर्षा"
भा रही है श्याम परछाई ।
- डॉ. वर्षा सिंह
सुन्दर। शुभकामनाएं होली पर।
जवाब देंहटाएंसुशील कुमार जोशी जी,
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद 🙏